चतरा की पहली सांसद थीं रामगढ़ राजघराने की विजया राजे
चतरा की पहली सांसद थीं रामगढ़ राजघराने की विजया राजे
दीनबंधु/मो तसलीम, चतरा
चतरा लोकसभा सीट वर्ष 1957 में अस्तित्व में आयी. यहां की पहली सांसद छोटानागपुर संताल परगना जनता पार्टी (सीएसपीजेपी) की प्रत्याशी विजय राजे बनी थीं. विजया राजे झारखंड की पहली महिला सांसद रहीं. झारखंड राज्य का गठन वर्ष 2000 में हुआ था, लेकिन अविभाजित बिहार में इस महिला ने क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीती थीं. हालांकि वे इससे पहले 1952 में राज्यसभा के लिए चुनी गयी थी. चतरा लोकसभा सीट से वे लगातार तीन बार सांसद बनीं. इसका रिकॉर्ड भी आज तक नहीं टूटा है. हालांकि धीरेंद्र अग्रवाल भी चतरा लोकसभा से तीन बार सांसद रहे हैं, लेकिन लगातार नहीं. विजया राजे पहली बार 1957 में सीएसपीजेपी से सांसद चुनी गयी थीं. 1962 में स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ी और जीती. इसके बाद 1967 में निर्दलीय चुनाव लड़ी और विजयी रहीं. इस तरह रामगढ़ राजघराने की महारानी विजया राजे तीन बार लगातार चुनी गयी. विजया राजे रामगढ़ राजा बसंत नारायण सिंह की पत्नी थी. वे मूलत: हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की थी.
तीनों बार कांग्रेस को हरा कर बनी थीं सांसद
विजया राजे ने 1957 से 1967 तक तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा कर सांसद बनी थी. वर्ष 1957 में विजया राजे ने कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को हरायी थी. 1962 में कांग्रेस के त्रिभुवननाथ को हरा कर सांसद बनी थी. 1967 में कांग्रेस के एसपी भदानी को हरा कर विजया राजे निर्दलीय सांसद बनी थी. इसके बाद 1971 में कांग्रेस का खाता खुला था. 1971 में कांग्रेस के डॉ शंकर दयाल सिंह ने विजया रानी को हरा कर पहले कांग्रेसी सांसद बने थे.राजा का हेलीकॉप्टर चुनाव प्रचार में आता था. राजा का हेलीकॉप्टर देख कर लोग उनके पक्ष में वोट करते थे. महारानी विजया राजे कभी भी डोर-टू-डोर वोट मांगने नहीं जाती थी. क्षेत्र के कई स्थानों पर हेलीकॉप्टर उतरता था, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती थी. हेलीकॉप्टर देख कर ही वोट करते थे. राजा व रानी हाथ हिला कर लोगों से वोट मांगते थे.