नदी का जलस्तर बढ़ने पर स्कूल नहीं जाते लोहरा गांव के बच्चे

लोहरा गांव के लोगो को पुल नसीब नहीं हो रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 19, 2024 9:06 PM

बरुण सिंह टंडवा. राज्य सरकार विकास के लाख दावे कर ले, पर जमीन पर सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं. आज भी बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत केरेडारी प्रखंड के लोहरा गांव के बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर विद्यालय जाते हैं. आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी लोहरा गांव के लोगो को पुल नसीब नहीं हो रहा है.लोहरा गांव के बच्चे टंडवा प्रखंड के हेसातु उच्च विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. रास्ते में एक नदी है, जिसपर आजतक पुल नहीं बना है, जबकि गांव में आदिवासी समुदाय की बहुलता है. राज्य सरकार द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बताया गया कि लोहरा गांव से केरेडारी प्रखंड मुख्यालय की दूरी 20 किलोमीटर है. जिस वजह से नदी पार कर बच्चे टंडवा प्रखंड के हेसातु विद्यालय में पढ़ने जाते हैं. गांव में आठवी तक की पढ़ाई होती है. उसके बाद शिक्षा ग्रहण करने के लिए बच्चे दूसरे गांव जाते हैं. नदी में पुल नहीं रहने के कारण बच्चे बाढ़ आने पर स्कूल नहीं जा पाते है. कभी-कभी बच्चे स्कूल जाते हैं और नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, तो बच्चों को अपने सहपाठी के घर रुक जाना पड़ता है. लोहरा गांव के लगभग दो दर्जन विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने उक्त विद्यालय जाते हैं. बच्चों ने कहा कि सरकार बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार व नयी शिक्षा नीति लाती है, पर नदी में पुल नहीं रहेगा, तो हम विद्यालय कैसे जायेंगे. नदी पार कर भींगे कपड़े में विद्यालय जाते हैं बच्चे लोहरा गांव के बच्चों के लिए शिक्षा ग्रहण करना एक कठिन तपस्या की तरह हो गयी है. नदी पार करने के दौरान बच्चे बस्ता व जूता तो हाथ मे ले लेते हैं, पर कपड़े भींग जाते हैं. धूप रहने पर कपड़े तो सूख जाते हैं, पर धूप नहीं रहने की स्थिति में भींगे हुए कपड़े में उन्हें बैठना पड़ता है. पुल नहीं होने से होती है परेशानी : शिक्षक हेसातु विद्यालय के शिक्षक बिनेसवर कुमार का कहना है नदी में पुल नही रहने के कारण बच्चों की नियमित उपस्थिति नहीं हो पाती है. कभी नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, तो बच्चों को उनके दोस्तों के घर में रखना पड़ता है. 2016 हेसातु उत्क्रमित उच्च विद्यालय बनने के बाद लोहरा के बच्चों का इस विद्यालय में आना शुरू हुआ. इससे पहले उच्च शिक्षा से बच्चे वंचित रह जाते थे.

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