प्रखंड की नवादा पंचायत के कोयता गांव में एक ही परिवार के पांच बच्चे मानसिक व शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, जिनमें तीन पुत्र व दो पुत्री शामिल हैं. साहेब गंझू के सबसे बड़े पुत्र गणु कुमार (11), शीला कुमारी (9), गनिता कुमारी (7), नितेश कुमार (5), रूबी कुमारी (02) दिव्याग हैं. ये सभी जन्म लेने के बाद से अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाते हैं.
बैठ कर ही चलते हैं. दिव्यांग बच्चों के पिता अपने गांव में मजदूरी कर अपना, पत्नी व बच्चों का भरण पोषण करते हैं. बच्चों की मां सभी की देखभाल करती है. सरकार लाभ के नाम पर इनके पास सिर्फ राशन कार्ड है. आज तक बच्चों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र व आधार कार्ड नहीं बना हैं. तीन वर्षों से आधार कार्ड व दिव्यांगता प्रमाण-पत्र को लेकर प्रखंड व जिला मुख्यालयों का चक्कर थक चुके हैं.
सात सितंबर 2021 को सदर अस्पताल में आयोजित दिव्यांगता शिविर में सभी बच्चे आये. लेकिन भीड़ अधिक होने के कारण मायूस होकर लौट जाना पड़ा. बच्चों के पिता ने बताया कि एक तरफ कुदरत की मार झेल रहे हैं, तो दूसरी तरफ सरकारी सिस्टम से परेशान हैं. गरीबी के कारण अपने बच्चों का समुचित इलाज नहीं करा पा रहे हैं. गांव के मनोज यादव ने कहा कि आधार कार्ड बनाने के लिए दो बार अपने खर्च से प्रखंड कार्यालय ले गये. हाथ का फिंगर नहीं लेने की बात कह कर ऑपरेटर ने लौटा दिया. दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के लिए चतरा भी ले गये, लेकिन भीड़ की वजह से लौटना पड़ा.