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अखरा गांव की पहचान बन गयी है जर्जर सड़क

प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुंदा पंचायत के अखरा गांव की जर्जर सड़क गांव उसकी पहचान बन गयी है. यह सड़क कुंदा की बाइपास सड़क के नाम से भी जानी जाती है.

कुंदा़ प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुंदा पंचायत के अखरा गांव की जर्जर सड़क गांव उसकी पहचान बन गयी है. यह सड़क कुंदा की बाइपास सड़क के नाम से भी जानी जाती है. 30 वर्ष से ग्रामीण सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी. सड़क निर्माण की मांग को लेकर कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया था. इसके बाद चुनाव के दिन ग्रामीणों ने स्वेच्छा से वोट किया और गांव की बदहाली बदलने की उम्मीद जतायी. कुंदा से टिकैतबांध मुख्य पक्की सड़क स्थित पचरुखीया गांव से अखरा गांव होते हुए जगरनाथपुर गांव की मुख्य सड़क तक करीब चार किलोमीटर सड़क जर्जर है. उक्त गांव में 150 घर है, जिसकी आबादी करीब 500 है. सड़क नहीं होने से ग्रामीणों का जीवन प्रभावित हो गया है. जर्जर सड़क पर पैदल आने-जाने में भी बहुत परेशानी होती है. 30 वर्ष पूर्व उक्त सड़क को मिट्टी व मोरम से बनाया गया था. तब से लेकर आज तक गांव में पक्की सड़क नहीं बनी.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण हरि यादव ने कहा कि गांव की सड़क की हालत देख कर कोई भी वाहन चालक गांव में नहीं आता है. ऐसे में ग्रामीणों को तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर जाना पड़ता है. ज्ञानती देवी ने कहा कि गांव में तीन किलोमीटर तक सड़क खराब है, जिससे हम लोगों को आवागमन करने में परेशानी होती है. सड़क में बोल्डर निकल आने से आये दिन लोग गिर कर घायल होते रहते हैं. उषा देवी ने कहा कि गांव में पक्की सड़क की मांग करते-करते कई लोग चल बसे, लेकिन आज तक मांग पूरी नहीं हुई.

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