सिमरिया. पूर्वी क्षेत्र के पीरी पंचायत के सुदूरवर्ती गांव सोंस व बांजी के पांच टोला में आज भी बिजली नहीं पहुंची है. लोग ढिबरी युग में जीने को विवश हैं. लोगों के लिए बिजली सपना बना हुआ है. बिजली नहीं पहुंचने से लोग कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शाम ढ़लते ही टोलों में अंधेरा छा जाता है. लोग घरों में दुबक जाते हैं. बच्चे रात में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. सपाही, पाकरतरी, गांवो पहाड़, बाघमारा व जारा टोला में लगभग एक हजार लोग रहते है. उक्त टोला आदिवासी बहुल है. सभी कृषि पर आश्रित हैं. बिजली नहीं रहने से खेतों की सिंचाई नहीं कर पाते हैं. उक्त टोलों में वर्ष 2016-17 में झारखंड बिजली बोर्ड द्वारा विद्युतीकरण के तहत सिर्फ पोल लगाकर छोड़ दिया गया है. साथ ही डीपीआर भी तैयार किया गया है. आठ वर्ष बीतने के बाद भी इन टोलों में तार व ट्रांसफार्मर नहीं लगा है. कई पोल भी टूट गये हैं.
ग्रामीणों ने कहा
नतय कच्छप ने कहा कि राज्य अलग होने के बाद लगा था कि गांव में बिजली आयेगी, लेकिन आज तक बिजली नहीं पहुंची. सतीश हस्सा ने कहा कि बिजली नही होने के कारण अंधेरे में रहना पड़ता है. जगरनाथ कच्छप ने कहा कि बिजली नहीं रहने से शाम होते ही जंगली जानवरों का डर बना रहता हैं. पौदा मुंडा ने कहा कि पीडीएस दुकान में एक लीटर केरोसिन मिलता है. उससे एक माह तक ढिबरी भी नहीं जला पाते हैं. डुगु मुंडा सहित अन्य ग्रामीणों ने उपायुक्त से टोलों में बिजली बहाल करने की मांग की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है