मयूरहंड. चोरहा-करकरा स्थित करकरवा नदी पर बना चेकडैम 14 वर्ष से टूटा हुआ है. इस चेकडैम का निर्माण वर्ष 1989 में डीवीसी विभाग द्वारा कराया गया था. वर्ष 2011 में भारी बारिश की वजह से उक्त चेकडैम का आधा से अधिक हिस्सा पानी की तेज बहाव में बह गया था. चेकडैम टूटने के बाद से आज तक इसकी मरम्मत नहीं करायी गयी. धीरे-धीरे उक्त चेकडैम मैदान में तब्दील हो गया है. चेकडैम से 50 एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई होती थी. किसान चेकडैम के सहारे रबी व खरीफ फसल उगाते थे. किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिये पाइपलाइन बिछाई गयी थी. इसके साथ मोटर भी लगाया गया था, लेकिन अब 50 एकड़ से अधिक उपजाऊ भूमि बंजर हो गयी है. खेती नहीं होने से किसानों को प्रति वर्ष लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. किसानों ने कई बार सांसद, विधायक व अधिकारियों को आवेदन देकर चेकडैम की मरम्मत कराने व नया चेकडैम बनाने की मांग की, लेकिन अब तक किसी ने पहल नहीं की. नदी में सालो भर पानी रहता है. चेकडैम बना कर पानी को रोकने की व्यवस्था की जाये, तो यहां सैकड़ों एकड़ भूमि की सिंचाई हो सकती है.
सिंचाई के अभाव में खेती नहीं कर पा रहे किसान
चोरहा के किसान श्रीधर राणा ने कहा कि सिंचाई सुविधा के अभाव में खेती नहीं कर पा रहे हैं. मनीर आजाद ने कहा कि जब से चेकडैम टूटा है, तब से कृषि कार्य प्रभावित है. रबी की खेती पूरी तरह बंद है. बशंबर राणा ने कहा कि चेकडैम मरम्मत कराने के के प्रति किसी का ध्यान नहीं है. प्रदीप राणा ने कहा कि जब चेकडैम था, तब रबी फसल का उत्पादन कर जीविकोपार्जन करते थे. करकरा के किसान पिंटू यादव व प्रकाश यादव ने कहा कि चुनाव के वक्त सांसद, विधायक गांव पहुंचते हैं, इसके बाद भूल जाते हैं.
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