एक ही गड्ढे के पानी से प्यास बुझाते हैं इंसान और जानवर
टंडवा की सराढू पंचायत के कनकट्टा टोला में गंभीर जल संकट
फ़ोटो-11 सीएच 11 में नाला से पानी निकालती महिलाएं, 12 में पानी ले जाती महिलाएं परेशानी : टंडवा की सराढू पंचायत के कनकट्टा टोला में गंभीर जल संकट : नाला में गड्ढा बना कर पानी की जुगाड़ करते हैं गांव के लोग : लोगों ने विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार की चेतावनी दी. वरूण सिंह टंडवा. प्रखंड की सराढू पंचायत के कनकट्टा टोला के लाेगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. मवेशी भी पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. इस भीषण गर्मी में गांव के लोगों के लिए एक नाला जीवन का सहारा बना हुवा है. इसी नाला में बने गड़्ढे के पानी से क्षेत्र के लोग और मवेशी अपनी प्यास बुझाते हैं. एशिया की सबसे बड़ी मगध कोल परियोजना से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस टोला के लोग सुबह होते ही पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं. कनकट्टा टोले में ढाई से तीन सौ आदिवासी रहते हैं. गांव में पीने के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं है और न हीं पक्की सड़क है. यहां सिर्फ कोयले की धूल उड़ती है. गांव में पांच पुराने कुएं हैं, जो इस भीषण गर्मी में सूख गये है. ऐसे में ग्रामीणों के समक्ष पीने के पानी की समस्या खड़ी हो गयी है. ग्रामीणों ने गांव के समीप स्थित नाला में जेसीबी के सहारे एक गड्ढा कर पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की है. इस गड्ढे में गांव वालों के साथ पशु-पक्षी भी पानी पीते हैं. मवेशियों के पानी पीने व नहाने के कारण यहां का पानी दूषित हो चुका है. ग्रामीण उसी गड्ढे के छोर पर चुआं खोद कर पानी ले जाते हैं. इसके लिए भी लोगों को लाइन में लग कर इंतजार करना पड़ता है. गांव की महिलाएं बताती हैं कि पानी की यहां बड़ी समस्या है. सरकार भले ही हर घर नल-जल पहुंचाने की बात करती है, पर हमारे लिये यह खोखला दावा साबित हो रहा है. दूषित पानी को पीने से बच्चे और बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं. गांव से दूसरे गांव की दूरी करीब दो किमी है. भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप में दो किमी पैदल चल कर पीने का पानी लाना बड़ी परेशानी में डाल सकता है. गांव के छोटू मुंडा ने बताया कि पीने का पानी गड्ढे से जुगाड़ हो जाता है, पर नहाने के लिए दो किमी दूर सीसीएल की बंद पड़ी मासीलोंग खदान जाना पड़ता है. खदान में नहाने के दौरान बच्चों के लिए हमेशा खतरा बना रहता है. हम सभी अगले विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करेंगे. सीसीएल का सीएसआर बेकार : कनकट्टा गांव एशिया की सबसे बड़ी कोल परियोजनाओ मगध से प्रभावित है. परियोजना से गांव की दूरी मात्र एक किमी है. सीसीएल के सीएसआर मद से विस्थापित और प्रभावित गांवों में पेयजल, स्वास्थ्य व शिक्षा सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं, पर गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं करायी गयी है. सीसीएल प्रबंधन के रवैये से ग्रामीण नाराज हैं. जल्द होगी पेयजल की व्यवस्था: बीडीओ : गांव में व्याप्त पेयजल की समस्या को लेकर बीडीओ देवलाल उरांव भी ने कहा कि गांव के लोग दूषित पानी पीते हैं, इसकी जानकारी मिली है. बहुत जल्द गांव में पेयजल की व्यवस्था करायी जायेगी. मुखिया सीता देवी ने माना कि गांव में पानी की विकट समस्या है. जलमीनार लगाने के लिए प्रयास किया जा रहा है.
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