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लॉकडाउन में मजदूर नहीं मिले, तो देसी जुगाड़ से बना डाली बालू चालने की मशीन

लॉकडाउन में घर बनाने के दौरान जब मजदूर मिलने में परेशानी होने लगी, तो चतरा के प्रदीप ने देसी जुगाड़ से बालू चालनेवाली मशीन बना दी.

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चतरा : आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और इस कहावत को चोरहा के प्रदीप राणा ने एक बार फिर चरितार्थ किया है. लॉकडाउन में घर बनाने के दौरान जब मजदूर मिलने में परेशानी होने लगी, तो देसी जुगाड़ से बालू चालनेवाली मशीन बना दी. यह मशीन मैनुअल और मोटर दोनों तरह से चलती है.

प्रदीप पेशे से सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं और पहले दिल्ली की टेलीकॉम कंपनी में काम करते थे. लॉकडाउन में घर बनाने अपने गांव लौटे. निर्माण कार्य में लगनेवाले बालू को पहले चालना पड़ता है. इस काम में पूरे दिन तीन से चार मजदूर लगे रहते हैं. लेकिन लॉकडाउन में मजदूर मुश्किल से मिल रहे थे. तब प्रदीप ने यह मशीन बनाने की सोची.

उनकी इस मशीन से अगर मैनुअल काम किया जाये, तो एक दिन में तीन ट्रैक्टर बालू चाला जा सकता है. मशीन मोटर से चलायी जाये, तो एक ही दिन में पांच से छह ट्रैक्टर बालू इससे चाल लिया जाता है. मैनुअल मशीन को बनाने में 1500 रुपये तथा मोटर से चलनेवाली मशीन को बनाने में लगभग छह हजार रुपये का खर्च आता है. इससे समय और पैसा दोनों बचता है.

posted by : sameer oraon

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