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सिमरिया में 300 एकड़ भूमि पर लहलहा रही सरसों की फसल

प्रखंड में 300 एकड़ भूमि पर राई (सरसों) की फसल लहलहा रही है. पूरी धरती पीला चादर ओढ़ी हुई है. सरसों की फसल देख किसान गदगद है.

सिमरिया. प्रखंड में 300 एकड़ भूमि पर राई (सरसों) की फसल लहलहा रही है. पूरी धरती पीला चादर ओढ़ी हुई है. सरसों की फसल देख किसान गदगद है. सरसों तेल की बढ़ती महंगाई को देखते हुए किसानों ने बड़े पैमाने पर इसकी खेती की है. प्रखंड के किसान पांच साल से सरसों की खेती करते आ रहे हैं, इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. इस बार किसानों ने एक कट्ठा से लेकर पांच से छह एकड़ तक की खेती की है. किसान एक क्विंटल से पांच क्विंटल तक सरसों पैदा करते हैं. किसानों ने सरसों के साथ-साथ आलू, टमाटर, मटर, बैगन, मिर्च व फूलगोभी की खेती की है. प्रखंड के इचाकखुर्द, चंदिया, कसियाडीह, बानासाडी, रोल लिपदा, डाडी, एदला, पुंडरा, सबानो, सेरनदाग, बगरा, जबड़ा, जिरुआ खुर्द, खापिया, पगार, सडमा, मुरवे, तुंबापतरा, सिकरी, गोपेरा, कदले बन्हे, हर्षनाथपुर, जांगी, लोबगा, चाडरम, हुरनाली, पीरी, शिला, इचाक, नावाटांड़, तलसा, चोपे आदि गांवों में खेती की गयी है.

सरसों बेचकर नकद कमाते हैं : किसान

इचाकखुर्द के किसान मोती दांगी ने कहा कि कई वर्ष से छह एकड़ भूमि पर सरसों की खेती करते हैं. जिससे 20 क्विंटल सरसों निकलता है. जिससे अच्छी आमदनी होती हैं. गणेश दांगी ने कहा कि दो एकड़ में खेती किया है. दस क्विंटल सरसों होने की उम्मीद है. इसकी खेती करने से बाजार से तेल नहीं खरीदना पड़ता हैं. सरसों बेचकर नकद कमाते हैं. गोपरा गांव के महेश महतो ने कहा कि 170 रुपये किलो सरसों तेल खरीदना पड़ता था. जबसे सरसों की खेती करना शुरू किया हूं, तेल खरीदना नहीं पड़ रहा हैं. कसियाडीह के रमेश महतो ने कहा कि महंगा तेल खरीदने से परेशान थे. अब तेल नहीं खरीदना नहीं पड़ रहा है.

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