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कुंदा के नक्सल प्रभावित गांवों में नहीं है मूलभूत सुविधा

नक्सल प्रभावित आधा दर्जन गांवों में आज तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकीं हैं. आज भी लोग विकास से कोसों दूर है. न गांव में सड़क है न नदी पर पुल है और न बिजली है.

कुंदा. थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित आधा दर्जन गांवों में आज तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकीं हैं. आज भी लोग विकास से कोसों दूर है. न गांव में सड़क है न नदी पर पुल है और न बिजली है. यहां तक की पीने के लिए शुद्ध पानी भी नसीब में नहीं होता है. बच्चों को शिक्षा भी नहीं मिल रही है. नक्सल प्रभावित फुलवरिया, बलही, कामत, बंठा, खुशियाला, लकड़मंदा, बुटकुइया, उलवार समेत अन्य गांव में सड़क नहीं है. सभी गांव घने जंगल व पहाड़ों से घिरे हैं. आज भी गांव के लोग सड़क व बिजली की आस लगाये हुए है. सभी गांव मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर पर स्थित है. यहां के लोग पगडंडियों के सहारे आवागमन करते हैं. सड़क इतनी खराब है कि पैदल चलना भी मुश्किल है. गांव तक वाहनों के पहुंचने की कोई भी सुविधा नहीं है. सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों व गर्भवती महिलाओं की होती हैं. एंबुलेंस व ममता वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में गांव के लोग डोली या खटोली से मरीज को मुख्य सड़क तक लाते हैं. फिर उसे वहां से अस्पताल ले जाते हैं. कई बार समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने से मरीज की मौत हो जाती है. बारिश के मौसम में गांव टापू बन जाते हैं. बंठा गांव के अनिल गंझू ने कहा की गांव का अब तक विकास नहीं हुआ है. खुशियाला गांव के रोहित कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन भी गांव की समस्या का समाधान को लेकर गंभीर नहीं दिख रही हैं. सड़क व नदी पर पुल नहीं रहने से काफी परेशानी होती है. मरीजों को अस्पताल ले जाने में दिक्कत होती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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