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पांच वर्ष से मानदेय में वृद्धि नहीं, आंदोलित हैं चतरा के एमपीडब्ल्यू कर्मी

वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने एमपीडब्ल्यू बहाल किया, नियम अनुरूप नहीं मिल रही है सुविधाएं. डीडीटी छिड़काव, डेंगू के प्रकोप को रोकने और पोलियो की रोकथाम में निभा रही है अहम भूमिका

चतरा : राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में एमपीडब्ल्यू (मल्टी पर्पस वर्कर) को बहाल किया था. उनकी बहाली तमाम नियमों के अनुरूप होने के बाद भी उन्हें समुचित सुविधा नहीं मिल रही है. आम कर्मचारियों की तरह ग्रेड पे के अनुसार अबतक मानदेय नहीं मिला है. वर्ष 2016 से 15 हजार 123 रुपये भुगतान किया जा रहा है. पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है और न ही विभाग में स्थायी तौर पर समायोजित किया गया.

सरकार कोरोना काल में एमपीडब्ल्यू से फ्रंट लाइन वर्कर्स की तरह काम ले रही है. मानदेय बढ़ोतरी को लेकर जून माह से एमपीडब्ल्यू आंदोलनरत हैं. जिले में फिलहाल 52 एमपीडब्ल्यू कार्यरत हैं. एमपीडब्ल्यू के सेवा में आने से पूर्व जिले में मलेरिया का काफी प्रकोप था. इन्होंने न सिर्फ मलेरिया उन्मूलन में अपनी सार्थकता साबित की, बल्कि डीडीटी छिड़काव, डेंगू के प्रकोप को रोकने और पोलियो की रोकथाम में गांव-गांव में टीकाकरण में अहम भूमिका रही.

इस संबंध में एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के अध्यक्ष फुजैल अहमद व उपाध्यक्ष गोविंद साव ने कहा कि कोरोना संकट के बीच हम सभी अपना काम ईमानदारी पूर्वक कर रहे हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त सुधार के लिए एमपीडब्ल्यू की नौकरी में सीधे समायोजन करने एवं मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं. सरकार को मानदेय में अवश्य वृद्धि करनी चाहिए.

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