झारखंड की लाइफ लाइन कही जाने वाली एनएच 22 की फलगु नदी पर बना पुल जर्जर हो चला है. पुल की मरम्मत की मांग कई बार की गयी, लेेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. स्थानीय सांसद सुनील कुमार सिंह तथा विधायक सह झारखंड सरकार के मंत्री सत्यानंद भोक्ता भी उदासीन बने हुए हैं. यह पुल झारखंड के चतरा और बिहार के डोभी के बीचो-बीच घंघरी के नजदीक फल्गु नदी पर बना है. वर्ष 1976 में फलगु नदी में आयी बाढ़ में अंग्रेजों के जमाने का बना यह पुल ध्वस्त हो गया.
13 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद इस पुल का निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के तहत वर्ष 1989 में हुआ, तब लोगों हो राहत हुई. ओड़िशा एवं छत्तीसगढ़ को बिहार से जोड़ने का सबसे सुगम तथा शॉर्टकट सड़क होने के कारण इस सड़क को झारखंड का लाइफ लाइन माना जाता है. यह सड़क गया जिला के डोभी में एनएच दो ग्रैंड ट्रंक रोड में मिलती है, जहां से देश के अन्य राज्यों में सुगमता से आवागमन किया जाता है.
इस सड़क से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में छोटे-बड़े यात्री वाहनों के साथ ही भारी वाहनों का आवागमन 24 घंटे होता है. झारखंड के अलावा कई राज्यों के बड़े अधिकारी, मंत्री, सांसद, विधायक के अलावा न्यायिक पदाधिकारी इस सड़क से हमेशा गुजरते हैं, लेकिन इस सड़क पर नदी पर बने पुल की मरम्मत की दिशा में किसी ने अब तक पहल नहीं की.
अभी इस पुल की स्थिति काफी खराब है. माना जाता है यदि पुल की मरम्मत नहीं करायी गयी, तो किसी अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है. पुल के ऊपरी सतह पर कई गड्ढे हो गये हैं, जहां छड़ दिखायी पड़ रहे हैं. इन गड्ढों में बारिश का पानी भरा रहता है. पानी भरा होने के कारण वाहन चालकों को गड्ढे का पता नहीं चल पाता है. कई दोपहिया वाहन चालक इन गड्ढों में फंस कर गिर भी चुके हैं.