चतरा जिला को पलामू से कम दूरी पर जोड़ने वाली लावालौंग-पांकी पथ पूरी तरह गड्ढो में तब्दील हो गयी हैं. सड़क अनगिनत गड्ढे व कीचड़ के कारण आवागमन करने में लोगो को काफी परेशानी हो रही हैं. बरसात के दिनों में गड्ढो में पानी जमा रहने के कारण आये दिन लोग गिरकर घायल हो रहे हैं. पथ खराब होने से 25 हजार आबादी प्रभावित हो रही हैं. प्रखंड के कई गांव के लोगों को प्रखंड मुख्यालय आने जाने में दिक्कत हो रही हैं. स्कूली बच्चों, बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने में परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही हैं.
लावालौंग के कई व्यवसायी पांकी साप्ताहिक खरीद-बिक्री करने उक्त पथ से ही जाते हैं. उक्त पथ वन्य प्राणी अश्रायणी क्षेत्र होने के कारण एनओसी मिलने में विभाग को काफी परेशानी हो रही हैं. वन विभाग से एनओसी नहीं मिलने के कारण आजतक सड़क का निर्माण नहीं हो पाया हैं. वर्ष 2020 में उक्त पथ का ग्रामीण कार्य विभाग चतरा से 35 किमी सड़क 25 करोड़ की लागत से टेंडर किया गया था. एनओसी नहीं मिलने के कारण आजतक कार्य प्रारंभ नहीं हो पायी हैं. संवेदक को टर्निमेट कर दिया गया हैं. प्रखंड के मंधनिया, सोलमा, हरनाही, रिमी, रामपुर, टिकदा, हुटरू, जलमा, टिकुलिया, सिलदाग, नावाडीह, घिरनिया समेत कई गांव के लोगो को आवागमन करने में दिक्कत हो रही हैं. उक्त पथ को 15 साल पूर्व लावालौंग से गड़ियानी मोड़ तक पक्कीकरण किया गया था. वन विभाग ने मुकदमा दर्ज किया था. जिसके कारण इस बार सड़क निर्माण से पूर्व एनओसी की प्रक्रिया की जा रही हैं.
दस्तावेज नहीं मिला : रेंजर
लावालौंग वन्य प्राणी अश्रायणी क्षेत्र के रेंजर सुरेश चौधरी ने बताया कि विभाग द्वारा एनओसी के लिए संपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा हैं. कई बार पथ बनाने वाले विभाग को आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया हैं. इसके पूर्व वन विभाग से लावालौंग के कई पथ का एनओसी मिल चुका हैं.
एनअोसी लेना टेढ़ी खीर
ग्रामीण कार्य विभाग के एसडीओ वीर बहादुर वेकेंट सिंह ने कहा कि उक्त पथ के एनओसी के लिए कई बार विभाग से आग्रह किया गया. लेकिन विभाग से एनओसी लेना टेढ़ी खीर साबित हो रही हैं. परेशानी हो रही है. एनओसी प्रक्रिया के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा हैं.