प्रखंड के बलबल महाने नदी का अस्तित्व अब खतरे में है. नदी का दायरा दिनों दिन सिमटता जा रहा है. बलबल व दुवारी में कई जगहों पर नदी के किनारों पर अतिक्रमण कर खेती का कार्य किया जा रहा है. इतना ही नही बालू के अवैध उत्खनन से भी महाने नदी का स्वरूप बदल रहा है. बालू उठाव के चलते कई हिस्सों पर पत्थर निकल आये हैं, तो कई जगहों पर नदी समतल मैदान में तब्दील हो गयी है.
जलधाराएं अवरुद्ध होने से मां बागेश्वरी मंदिर बलबल के निकट उत्तर वाहिनी स्थल पर यह नदी गंदे नाले में तब्दील हो गयी हैं. कभी अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए प्रसिद्ध महाने नदी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है. 12 से 15 वर्षों में यह स्थिति बनी है. एक समय था जब गर्मी व सर्दियों में यह नदी अपना सौंदर्य बिखेरती थी.
गर्मियों में जहां इसका पानी इंसानों,मवेशियों व पशु पक्षियों के लिए जीवनदायी था. वहीं सर्दियों में इस नदी में ठंडी जलधाराओं के बीच कई जगहों पर निकलने वाली गर्म जलधार लोगों को सुखद अनुभूति देती थी. प्रखंड मुख्यालय व कटकमसांडी प्रखंड के कई गांव की एक बड़ी आबादी इस नदी के जल का उपयोग विभिन्न कार्यों में करते थे.
महाने नदी का अतिक्रमण तेजी से हो रहा है. नदी जहां मैदानी क्षेत्र में तब्दील हो गयी हैं, वहीं अतिक्रमण के लिए होड़ मची है. बलबल के समीप नदी तट का कई एकड़ जमीन का अतिक्रमण किया गया है. लोग उक्त जमीन का अतिक्रमण कर इसमे खेती का कार्य कर रहे हैं. नदी की जमीन हथियाने के चलते अक्सर मारपीट की घटना घटित होते रहती है.
नदी से हर रोज दर्जनो ट्रैक्टर बालू का उठाव किया जा रहा हैं. स्थानीय दबंगों द्वारा अधिक कीमत पर चतरा व हजारीबाग में बालू बेचने की होड़ चली आ रही हैं. बालू का अभाव होने से भी नदी का स्वरूप पर असर पड़ा और नदी मैदानी इलाके में तब्दील होते गयी.