कभी बड़े पैमाने पर होती थी गन्ने की खेती,

गन्ने की खेती के प्रति किसानों का मोह हो रहा है भंग

By Prabhat Khabar News Desk | June 1, 2024 9:01 PM

गिद्धौर. कभी गन्ने और इससे बनने वाले गुड़ की वजह से मशहूर गिद्धौर प्रखंड के गांवों में अब गन्ने की खेती लुप्त हो रही है. गन्ना में लगने वाले रोग, अधिक परिश्रम व अच्छी प्रजाति के अभाव कारण किसानों का गन्ने की खेती से मोह भंग हो रहा है. सरकार के उदासीन रवैया व क्षेत्र में विभिन्न कंपनियों के बढ़ते प्रभाव के कारण भी इसकी खेती कम होती जा रही है. दो दशक पूर्व प्रखंड के विभिन्न गांवों में हजारों एकड़ भूमि पर गन्ने की खेती होती थी. आज गन्ने की खेती कुछ गांव में ही नजर आती है. किसान बताते हैं कि पूर्व में गिद्धौर का गुड़ जिले के लोग बड़े चाव से खाते थे. यहां का गुड़ सिर्फ चतरा जिला में ही नहीं, बल्कि हजारीबाग, गया, रांची, रामगढ़, धनबाद सहित अन्य शहरों में भी विख्यात रहा है. किसान सबसे अधिक गुड़ महराजगंज बाजार में बेचा करते थे. उन दिनों यहां के बाजार में सबसे अधिक मांग गिद्धौर के गुड़ की हुआ करती थी. विलुप्त हो रही गन्ने की बेहतर प्रजाति प्रखंड में गन्ने की कई अच्छी प्रजाति की खेती होती थी, जो अब विलुप्त होने की कगार पर हैं. कभी यहां मैयां दुलारी, मलगोब्बा किस्म का गन्ना बहुतायत पाया जाता था. इनके रस व इनसे बनने वाले गुड़ काफी पौष्टिक व स्वादिष्ट होते थे. इसके अलावा पसेरी मोहन, ललका मंगोइया, कांशी, हडही आदि प्रजाति की गन्ने भी खेती होती थी. इन गांवों में होती थी गन्ने की खेती दो दशक पूर्व प्रखंड के बारिसाखी, गिद्धौर, इंदरा, रूपिन, डडुआ, पेक्सा, नयाखाप, केंदुआ, पहरा, लुब्धिया, लोहड़ी, गंडके, रोहमर आदि गांवों में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती थी. अधिकतर गांवों में गन्ने की खेती अब बंद हो गयी. हालांकि अभी भी दुवारी पंचायत के इंदरा गांव के किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version