टानाभगतों की बदलेगी किस्मत, एक महीने के अंदर वन पट्टा मिलेगा
चतरा डीसी अंजलि यादव बुधवार को अधिकारियों के साथ ठेठांगी गांव पहुंची. यहां उन्होंने सीसीएल अधिकारियों की उपस्थिति में टानाभगतों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं से अवगत हुईं.
रांची : अशोक परियोजना में जमीन संबंधी समस्याओं के निबटारे को लेकर चतरा डीसी अंजलि यादव बुधवार को अधिकारियों के साथ ठेठांगी गांव पहुंची. यहां उन्होंने सीसीएल अधिकारियों की उपस्थिति में टानाभगतों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं से अवगत हुईं. इस अवसर पर टानाभगतों ने बताया कहा कि अशोक परियोजना प्रबंधन वर्षों से उन्हें आश्वासन देकर उनके घरों को खाली करा लिया. अब उनकी जमीनों में खदान चल रही है.
लेकिन अब तक न तो उन्हें वन पट्टा मिला और न ही सीसीएल में नौकरी. जब तक उन्हें सीसीएल में नौकरी नहीं मिलती है, वे अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे. इस पर अधिकारियों ने बताया कि उक्त जमीन पर पहले ही वन विभाग सीसीएल को खनन कार्य के लिए वन भूमि आवंटित कर चुका है. अब प्रशासन द्वारा वन पट्टा निर्गत नहीं करने से उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है. वहीं, प्रदीप टानाभगत, बांदे टानाभगत, वंशी टानाभगत, रामे टानाभगत व हरि टानाभगत की वन पट्टा संबंधी आवेदन खारिज हो चुका है.
इस पर डीसी ने अधिकारियों से परामर्श कर नौकरी के लिए जरूरी दो एकड़ भूमि 36 नंबर व 61 नंबर प्लाट से वन पट्टा देने का निर्णय लिया. इसके लिए उन्होंने उपस्थित अधिकारियों से ग्रामसभा सहित सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर एक महीने में जिला भेजने का निर्देश दिया. कुछ टानाभगतों ने कार्यालय कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगे जाने की शिकायत क.
ऐसी स्थिति में उन्हें तुरंत डीसी को सूचित करने को कहा गया. ज्ञात हो कि वन पट्टा की मांग को लेकर टानाभगत वर्षों से संघर्षरत हैं. पिछले वर्ष ही उन्होंने एक मालगाड़ी रोक कर हफ्तो राजधर साइडिंग का कामकाज ठप करा दिया था. वे हरहाल में सीसीएल में नौकरी से कम पर तैयार नहीं हैं.
मौके पर डीडीसी सुनील कुमार सिंह, एडीएम सुधीर कुमार दास, जीएम सीबी सहाय, पीओ अवनिश कुमार, थाना प्रभारी गोविंद कुमार, ग्रामीणों की ओर से रामे टानाभगत, जगरनाथ टानाभगत, जासो टानाभगत, फूलमनिया टानाभगत, गीता टानाभगत, जगदीश टानाभगत, हरि टानाभगत, राजो टानाभगत, सेवा टानाभगत, रूपनी टानाभगत, प्रदीप टानाभगत, परदेशी टानाभगत आदि उपस्थित थे.
जमीन पर बैठे टानाभगत : डीसी अंजलि यादव के आगमन पर प्रबंधन द्वारा कुर्सियों की व्यवस्था की गयी थी. पर, टानाभगतों के जमीन पर बैठने से उन्होंने कुर्सी पर बैठने से इंकार कर दिया. डीसी ने कहा कि टानाभगत नीचे बैठे हैं, तो वे कुर्सी पर कैसे बैठ सकती हैं. इसके बाद टानाभगतों ने ही एक चटाई की व्यवस्था की. डीसी को जमीन पर बैठा देख डीडीसी व एसडीएम भी जमीन पर बैठ गये. खदान के 10 फीट की दूरी पर बैठक कर उन्होंने टानाभगतों की समस्याएं सुनीं और खदान का भी अवलोकन किया.