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चतरा : नक्सलियों का सेफ जोन रहा हैं अनगड़ा गांव का जंगल

गांव में सड़क, बिजली की व्यवस्था नहीं है. यहां के बच्चे भी अपना बचपन गोली की आवाज सुनकर गुजारते हैं. उक्त गांव में हमेशा पुलिस व नक्सली संगठन के बीच मुठभेड़ होती रहती है.

कुंदा : थाना क्षेत्र के अनगड़ा गांव का जंगल नक्सली संगठन के लिए सेफ जोन माना जाता हैं. इससे पूर्व भी जंगल में पुलिस व नक्सली के बीच कई बार मुठभेड़ हुई हैं. 18 सितंबर 2022 को चतरा पुलिस व माओवादी दस्ते के साथ मुठभेड़ हुई थी. जिसमें सीआरपीएफ जवान चितरंजन कुमार की मौत हो गयी थी. नक्सलियों के लिए यह जंगल काफी सुरक्षित रहता है. यह जंगल चतरा-पलामू के सीमावर्ती इलाके में पड़ता है. नक्सली संगठन के लोगों ने चतरा व पलामू की एक साथ मॉनिटरिंग करने को लेकर अनगड़ा गांव के जंगल में अपना अड्डा जमाये रखते हैं.

दोनों जिले में चल रहे विकास कार्यों में लेवी वसूलने के लिए क्षेत्र में नक्सली संगठन जमे रहते हैं. वहीं दूसरी ओर जंगल के आसपास के आधा दर्जन गांव के लोग बंदूक के भय के साये में रहते हैं. थाना क्षेत्र के अनगड़ा, घियाही, जावादोहर, बलही, हेंदीयाकला, खुशियाला, लकड़मंदा समेत अन्य कई गांव में रहने वाले लोग हमेशा बंदूक के भय के साये में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. आज भी गांव में विकास खोखला साबित हो रहा है. गांव में सड़क, बिजली की व्यवस्था नहीं है. यहां के बच्चे भी अपना बचपन गोली की आवाज सुनकर गुजारते हैं. उक्त गांव में हमेशा पुलिस व नक्सली संगठन के बीच मुठभेड़ होती रहती है. यह क्षेत्र हमेशा खूनी जंग के लिए जाना जाता है. मुठभेड़ में गोली की तड़तड़ाहट की आवाज से ग्रामीण सहम जाते हैं. उक्त गांव के कई लोग गांव छोड़कर प्रतापपुर, चतरा समेत अन्य जगहों पर रहने को मजबूर है.

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