चतरा : कृषि के क्षेत्र में हो रहे अभिनव प्रयोगों की वजह से अब झारखंड के किसान भी व्यावसायिक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसी कड़ी में चतरा के कुछ किसानों से केसर की खेती शुरू की है. फिलहाल, कान्हाचट्टी प्रखंड के सात गांवों के किसानों ने इस बार 12 एकड़ में केसर की खेती की है. इनमें अमकुदर, गड़िया, पथेल, बनियाबांध, पचफेड़ी, बेंगोखुर्द व सरैया गांव के किसान शामिल हैं.
किसानों ने नवंबर में केसर लगाया था. छह माह में केसर तैयार हो जाता है. इन सभी किसानों के लिए प्रेरणा बने हंटरगंज प्रखंड के पंडरकोला निवासी किसान पवन सिंह भोक्ता, जिन्होंने पिछले वर्ष प्रयोग के तौर पर केसर की खेती की थी. पवन सिंह भोक्ता ने बताया कि उन्होंने सात कट्ठा में केसर की खेती की थी.
उन्होने बताया कि इसके लिए 30 हजार रुपये खर्च कर ऑनलाइन केसर के बीज मंगाये थे. फसल तैयार हुई, तो चार किलो केसर और 12 किलो केसर का दाना बेचा था. ऑनलाइन व्यापारी से संपर्क कर केसर और उसके दाने की बिक्री की थी, जिससे पांच लाख 20 हजार रुपये की आमदनी हुई. इस बार उन्होंने 12 कट्ठा में केसर लगाया हैं. पिछले वर्ष जानकारी के अभाव में उन्होंने सस्ती दर पर केसर व दाने की बिक्री की थी. लेकिन, इस बार अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.
केसर की खेती करनेवाले किसानों का कहना है कि पोस्ता की खेती पर प्रतिबंध है. पोस्ता लगा भी लिया, तो पुलिस तंग करती है. जबकि, केसर की खेती करने से किसी तरह कोई डर भय नहीं है. इससे अच्छी आमदनी भी होती है.
अमकुदर गांव के सुरेश सिंह भोक्ता ने बताया कि पवन सिंह भोक्ता से प्रेरित होकर उन्होंने इस बार पांच कट्ठा में केसर लगाया है. बीज भी उन्होंने पवन से लिये हैं. अच्छी आमदनी हुई, तो अगली बार बड़े पैमाने पर खेती करेंगे. इसी तरह पचफेड़ी के राजकुमार सिंह ने प्रयोग के तौर पर सात कट्ठा में और सरैया की सुषमा देवी ने दो कट्ठा में केसर लगाया है.
कृषि वैज्ञानिक डॉ रंजय कुमार ने बताया कि केसर की खेती ठंड के मौसम में ही की जाती है. इसके लिए तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. उत्तम किस्म के केसर के उत्पादन के लिए शून्य डिग्री सेल्सियस की जरूरत होती है. जिले के कुछ क्षेत्रों में केसर की खेती शुरू हुई है. केवीके द्वारा किसानों को केसर की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इससे किसान अच्छी आमदनी पा सकते हैं.
posted by : sameer oraon