शाम ढलते ही बंद हो जातीं हैं दुकानें, लोग घरों में हो जाते हैं कैद
सिमरिया-टंडवा पथ में शाम ढलते ही मुख्य चौक-चौराहों पर सन्नाटा पसर जाता है. दुकानें बंद हो जातीं हैं. सड़कों पर एक भी आदमी दिखाई नहीं पड़ता है.
चतरा़ सिमरिया-टंडवा पथ में शाम ढलते ही मुख्य चौक-चौराहों पर सन्नाटा पसर जाता है. दुकानें बंद हो जातीं हैं. सड़कों पर एक भी आदमी दिखाई नहीं पड़ता है. सभी लोग अपनी-अपनी दुकानें बंद कर घर चले जाते हैं. यह सब स्थिति आम्रपाली, मगध व केरेडारी से कोयला लेकर गुजरने वाले वाहनों के भय से उत्पन्न हुई हैं. उक्त पथ पर डाड़ी, धनगड्डा, मिश्रौल, सेरनदाग, खधैया, बिंगलात जैसे कई भीड़-भाड़ वाले चौक-चौराहे व घनी आबादी हैं. इस सड़क पर कोयला की ढुलाई करनेवाले वाहनों का आधिपत्य है. उक्त रास्ते पर हमेशा कोयला लदा वाहनों का परिचालन होते रहता है. नो इंट्री सिर्फ सिमरिया के डाड़ी के पास लगा रहता है. 23 किमी में कही भी नो इंट्री नहीं रहती है. रात के साथ-साथ दिन में भी भारी वाहनों का परिचालन होते रहता है. आये दिन सैकड़ों वाहनों का आवाजाही होने से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. कई ग्रामीणों ने बताया कि शाम ढलने के पूर्व ही अपनी दुकान को बंद कर चले जाते हैं. कई बार कोयला लदा वाहनों के चपेट में आने से लोगों की मौत हो चुकी है. इस डर से घरों में कैद हो जाते है. सबसे अधिक परेशानी छोटी वाहन व बाइक चालकों को होती हैं. ट्रांसपोर्टर कोयला की ढुलाई कर मालामाल हो रहे हैं, वहीं स्थानीय लोग परेशान हैं. सड़कों पर पानी का छिड़काव नहीं होता है.
उड़ते धूल से लोग परेशान
सिमरिया-टंडवा पथ में कोयला लदा वाहनों को चलने से हमेशा धूल उड़ती रहती है. सड़क किनारे रहने वाले लोगों को धूल से काफी परेशानी होती है. दुकानों में रखे समान कुछ दिन के बाद ही खराब हो जाते हैं. साथ ही घरों में रखे समान पर धूल की परत जम जाती है. पानी भी पीने लायक नहीं रहता हैं. सड़कों किनारे पेड़-पौधे में भी धूलकण जमी रहती है, जिसके कारण लोगों को शुद्ध वायु नहीं मिलती है. आम्रपाली गेट नंबर एक से लेकर टंडवा तक सड़क में काफी धूल उड़ती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है