: गांवों में न बिजली न सड़क, नदी पर पुल भी नहीं धर्मेंद्र गुप्ता कुंदा. थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित आधा दर्जन गांवों में आजतक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं. आज भी लोग विकास से कोसों दूर हैं. न गांव में सड़क है न नदी पर पुल और न बिजली है. यहां तक की पीने के लिये शुद्ध पानी भी नसीब में नहीं होता है. बच्चों को शिक्षा भी नहीं मिल रही है. नक्सल प्रभावित फूलवरिया, बलही, कामत, बंठा, खुशियाला, लकड़मंदा समेत अन्य गांव में सड़क नहीं है. सभी गांव घने जंगल व पहाड़ों से घिरे हैं. आज भी गांव के लोग सड़क व बिजली की आस लगाये हुए हैं. सभी गांव मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर पर स्थित हैं. यहां के लोग पगडंडियों के सहारे आवागमन करते हैं. सड़क इतनी खराब है कि पर पैदल चलना भी मुश्किल है. गांव तक वाहनों के पहुंचने की कोई भी सुविधा नहीं है. सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों व गर्भवती महिलाओं को होती है. एंबुलेंस व ममता वाहन गांव तक नहीं पहुंचने से गांव के लोग डोली खटोली कर मुख्य सड़क तक लाते हैं, फिर उसे वाहन से अस्पताल ले जाते हैं. कई बार मरीज के समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण उनकी जान मुश्किल में पड़ जाती है. सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है. कई गांव नदियों से घिरा है, बरसात में ये गांव टापू बन जाते हैं. दो पहिया वाहनों का इन गांवों में आना भी बंद हो जाता है. ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव में सड़क व बिजली की मांग को लेकर वोट बहिष्कार किया था. बाद में प्रखंड प्रशासन के आश्वासन के बाद दोपहर बाद वोट किया. जिला प्रशासन भी गंभीर नहीं है: ग्रामीण बंठा के अनिल गंझू ने कहा कि गांव में 30 वर्ष से हूं. गांव का अबतक विकास नहीं हुआ हैं. खुशियाला के रोहित कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन भी गांव की समस्याओं के समाधान को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है. सड़क व नदी पर पुल नहीं रहने से काफी परेशानी होती हैं. गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल तक ले जाने में दिक्कत होती है.
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