शैक्षणिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है. इसके बाद भी सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्था का बुरा हाल है. मुख्यालय स्थित स्वामी विवेकानंद प्लस टू उवि में शिक्षकों की कमी है. एक शिक्षक राकेश रंजन के भरोसे 321 छात्र-छात्राओं का भविष्य है. 11वीं में 178 व 12वीं में 143 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. इसमें 318 कला व तीन साइंस के बच्चे शामिल हैं.
विद्यालय को वर्ष 2016 में प्लस टू का दर्जा मिला, लेकिन शिक्षक समेत अन्य सुविधाएं आजतक विद्यालय को उपलब्ध नहीं करायी गयी. विद्यालय में शौचालय व लैब की भी समस्या है. विषयवार शिक्षक नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. अभिभावकों को अपने बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है. शिक्षक श्री रंजन को 28 फरवरी 2022 को विद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है.
कला संकाय के छात्र चंद्रदीप कुमार ने कहा कि प्रतिदिन विद्यालय पढ़ाई करने पहुंचते हैं, लेकिन शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई नहीं होती है. जिशान अंसारी ने कहा कि लंबी दूरी तय कर विद्यालय में इंटर कला की पढ़ाई करने आते हैं. नियमित पढ़ाई नहीं होती है. कभी-कभी बिना पढ़ाई किये घर लौट जाना पड़ता है. कविता कुमारी ने कहा कि उच्च विद्यालय को प्लस टू का दर्जा मिलने के बाद उम्मीद जगी थी कि यहां इंटर के सभी संकायों की पढ़ाई होगी.
पढ़ाई के लिए अब दूसरे शहर में नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन यहां सरकार ने शिक्षक ही बहाल नहीं किया. निशु कुमारी ने कहा कि विद्यालय में केवल भूगोल विषय की पढ़ाई होती है. अन्य विषयों की पढ़ाई अदा-कदा ही होती है. नंदनी कुमारी ने कहा कि हड़ाही गांव से आठ किमी की दूरी तय कर विद्यालय पढ़ाई करने आते-जाते हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण समुचित विषयों की पढ़ाई नहीं होती है. शिवानी कुमारी ने कहा कि परीक्षा सिर पर है, पढ़ाई के बिना परीक्षा की तैयारी अधूरी है.