चतरा . चतरा संसदीय सीट का चुनाव 20 मई को होगा. चुनाव में पांच दिन शेष रह गये हैं. इसे लेकर सभी प्रत्याशी दिन-रात प्रचार में लगे हैं. सुबह से लेकर देर रात तक जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं. गांव-टोला से लेकर गली- मुहल्लों में पहुंच कर प्रत्याशी मतदाताओं को तरह-तरह का वादा कर अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रहे हैं. समर्थक व कार्यकर्ता भी अपने प्रत्याशी को जीत सुनिश्चित करने के लिए घर-घर पहुंच रहे हैं. मतदाता भी प्रत्याशियों काे आश्वासन दे रहे हैं़ भाजपा तीसरी बार जीत दर्ज करने के लिए लगी है, तो कांग्रेस को 40 वर्षों के बाद जीत का इंतजार है, इसलिए वह लगी हुई है. अन्य प्रत्याशी भी जोर आजमाइश कर रहे हैं. इस सीट से भाजपा ने लगातार वर्ष 2014 व 2019 में जीत दर्ज की है. तीसरी बार जीत दर्ज करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. वहीं कांग्रेस इंडिया महागठबंधन के घटल दल राजद, झामुमो के बल पर इस बार चुनाव जीतने का दावा कर रही है. वर्ष 1984 के बाद आज तक कांग्रेस यहां से नहीं जीत पायी है, हालांकि कई बार कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे हैं. 2009 में भाजपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था. जदयू के साथ गठबंधन होने के कारण चतरा सीट जदयू के खाते में चला गया. जदयू से अरुण कुमार यादव को प्रत्याशी बनाया गया था. लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी इंदर सिंह नामधारी की जीत हुई थी. 2014 में भाजपा से सुनील कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया गया. श्री सिंह ने जीत दर्ज की. 2019 में पुन: सुनील सिंह को ही प्रत्याशी बनाया गया. उन्होंने मोदी लहर में रिकॉर्ड मत 3.77 लाख से जीत दर्ज की. इस बार भाजपा ने स्थानीय कालीचरण सिंह को प्रत्याशी बनाया है. श्री सिंह के समक्ष 2019 की तरह जीत दर्ज कराना चुनौती है. हालांकि श्री सिंह वर्ष 2019 से मिले वोट से अधिक मत लाकर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं. वहीं इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी केएन त्रिपाठी का कहना है कि सभी तरह के समीकरण उनके पक्ष में है. भाजपा के 10 साल के कार्यकाल में लोगों की समस्याएं दूर नहीं हुई हैं. मतदाता विकल्प की तलाश में हैं. उनका मानना है कि मुस्लिम, यादव, ब्राह्मण, ईसाई, गंझू, राजपूत, ओबीसी का पूरा समर्थन मिल रहा है. इस आधार पर वे अपना जीत मान रहे हैं.
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