जान जोखिम में डाल लकड़ी के पुल पार करते हैं ग्रामीण
प्रतापपुर प्रखंड अंतर्गत योगियारा पंचायत का बरहे गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव तक पहुंचने के लिए न सड़क है, न बिजली और न ही पीने के स्वच्छ पानी.
प्रतापपुर/कुंदा. प्रतापपुर प्रखंड अंतर्गत योगियारा पंचायत का बरहे गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव तक पहुंचने के लिए न सड़क है, न बिजली और न ही पीने के स्वच्छ पानी. गांव में कुरमी व गंझू जाति के करीब 200 परिवार रहते है. यहां के लोग ढिबरी युग में जीने को विवश है. गांव चारों ओर जंगल और पहाड़ से घिरा है. शाम ढलते ही गांव में जंगली जानवरों की आवाज गूंजने लगती है. गांव तोरवा नदी में पुल नहीं बना है. ग्रामीणों ने पुल को पार करने के लिए लकड़ी से कामचलाऊ 20 फीट लंब पुल बनाया है. हर रोज ग्रामीण जान जोखिम में डाल पुल पार करते हैं. सड़क नहीं रहने से बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है. सड़क के अभाव में कोई भी वाहन गांव में तक नहीं पहुंच पाआ है. ममता वाहन का लाभ भी यहां की गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल पाता है. गर्भवती महिला को चारपाई पर लिटा कर करीब 10 किलोमीटर की दूरी तय कर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है. वहां पहुंचने के बाद ही वाहन की सुविधा मिल पाती है.
बरसात में गांव बन जाता है टापू
बरसात के मौसम में गांव पूरी तरह से टापू बन जाता है. तोरवा नदी पर पुल नहीं रहने से काफी परेशानी होती है. नदी का जलस्तर बढ़ जाने पर गांव का संपर्क मुख्यालय से कट जाता है. ऐसे में अगर गांव में किसी की तबीयत खराब हो जाये, तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए नदी का जलस्तर कम होने का इंतजार करना पड़ता है. पांच माह पहले गांव में कैली कुमारी व पंकज कुमार को सांप ने काट लिया था. समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने की वजह से दोनों की मौत हो गयी थी.ग्रामीणों ने कहा
ग्रामीण मुकेश गंझू, महेंद्र गंझू व बीरू महतो ने कहा कि बारिश के मौसम में काफी परेशानी होती है. जान- जोखिम में डाल कर नदी पार कर प्रखंड मुख्यालय आते-जाते हैं. बिफन गंझू, सुरेश महतो व गणेश महतो ने बताया कि नदी पर पुल और सड़क बनाने की मांग लंबे समय से सांसद व विधायक से की जा रही है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. ग्रामीण लकड़ी का पुल बना कर किसी तरह आवागमन करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है