चतरा. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा का लाभ पर्याप्त लोगों को नहीं मिल पा रहा है, जिससे मजदूर पलायन करने को विवश हैं. सदर प्रखंड की सिकिद पंचायत में मनरेगा अधिनियम की धज्जियां उड़ा कर कार्यों में जेसीबी का प्रयोग हो रहा है. मशीन से काम होने से मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है और मजदूरों का हक मारा जा रहा है. मनरेगा के तहत संचालित तालाब, डोभा, मिट्टी खुदाई सहित अन्य योजनाओं में जेसीबी मशीन का प्रयोग हो रहा है. जिला, प्रखंड प्रशासन जान कर भी अनजान बना हुआ है. बता दें कि मनरेगा के तहत एक मजदूर को चालू वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत रोजगार प्रदान करना है, लेकिन सिकिद पंचायत में ऐसा होता नहीं दिख रहा है. इस संबंध में बीडीओ हरिनाथ महतो ने कहा कि जिस भी योजना में जेसीबी के उपयाेग का साक्ष्य मिला है, उस योजना को रद्द कर दिया गया है. फिलहाल 10 दिनों से मनरेगा का काम पूरी तरह से बंद है. सिर्फ कुआं, बागवानी का काम चल रहा है.
:मनरेगा कूप निर्माण में पायी गयी अनियमितता
लावालौंग. लावालौंग पंचायत के सोहावन गांव में मनरेगा से संचालित कूप निर्माण कार्य में अनियमितता की शिकायत मिलने पर जांच टीम कार्य स्थल पर पहुंच कर जांच की. कूप का निर्माण शांति देवी की जमीन पर किया जा रहा है. गांव के एक युवक ने व्हाट्सअप के माध्यम से इसकी शिकायत डीडीसी से की थी. डीडीसी ने कमेटी बना कर मामले की जांच करायी. आवास योजना के जिला को-ऑर्डिनेटर राजीव कुमार व अन्य कार्य स्थल पर पहुंच कर जांच की. उन्होंने बताया कि कुआं की गहराई 20 की जगह 18 फीट की गयी है और कुआं बांधने का काम किया जा रहा था. साथ ही निर्माणाधीन कुआं पूरी तरह से सूखा है. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि उक्त कुआं में पानी कभी नहीं रहता है. ग्रामीणों की शिकायत सही पायी गयी. जांच रिपोर्ट डीडीसी को सौंपी जायेगी. मुखिया नेमन भारती ने कहा कि जितना कुआं का निर्माण हुआ है, उतनी ही राशि का भुगतान किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है