चतरा के इटखोरी में प्याज की बंपर उपज, फिर भी किसानों में है मायूसी, जानें क्या है वजह

किसानों का कहना है कि पिछले साल संपूर्ण लॉकडाउन के कारण काफी नुकसान हुआ था. ग्राहक व उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण खेतों में ही प्याज फेंकना पड़ा था. इस साल उम्मीद जगी थी, लेकिन इस साल भी मायूसी हाथ लगी. प्याज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. मजबूरी में औने-पौने दाम में बेचना पड़ रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 7, 2021 1:31 PM

Jharkhand News, Chatra News चतरा : प्रखंड के करनी गांव में इस साल प्याज की बंपर उपज हुई है. बेहतर उपज से किसान गदगद हैं, लेकिन प्याज का उचित मूल्य नहीं मिलने से मायूस भी हैं. थोक भाव में 10 से 12 रुपये प्रति किलो की दर से धनबाद के व्यापारियों के पास बेच रहे हैं, जबकि खुदरा में प्याज 15 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.

किसानों का कहना है कि पिछले साल संपूर्ण लॉकडाउन के कारण काफी नुकसान हुआ था. ग्राहक व उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण खेतों में ही प्याज फेंकना पड़ा था. इस साल उम्मीद जगी थी, लेकिन इस साल भी मायूसी हाथ लगी. प्याज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. मजबूरी में औने-पौने दाम में बेचना पड़ रहा है.

क्या कहते हैं किसान

महिला कृषक रीना देवी ने कहा कि मैंने 25 क्विंटल प्याज उपजाया है, लेकिन संतोषजनक कीमत नहीं मिलने से निराश हैं. फसल देख कर मन गदगद है, लेकिन मजबूरी में 10 रुपये किलो की दर से थोक व्यापारी के पास बेचना पड़ रहा है. अधिक दिनों तक घर में रखने पर प्याज सड़ने लगता है. स्थानीय स्तर पर कोल्ड स्टोरेज होता, तो उसमें रख सकते थे. बाद में अच्छे मूल्य पर बेचते. कैलाश कुशवाहा ने कहा कि मैंने 20 क्विंटल उपजाया है.

इस साल काफी अच्छी उपज हुई है, लेकिन कीमत ने मन को निराश कर दिया है. 10 रुपये प्रति किलो की दर से बेचना पड़ रहा है. सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलती है. भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण परेशानी और बढ़ जाती है. प्याज सड़ने के डर से कम कीमत पर ही बेचना पड़ जाता है, जिससे घाटा हो रहा है. महिला कृषक सखी देवी ने कहा कि मैंने 200 क्विंटल प्याज उपजाया है. पिछले साल की अपेक्षा काफी अच्छी उपज हुई है, लेकिन जिस उम्मीद से खेती की, उसपर पानी फिरता नजर आ रहा है.

प्याज का सही भाव नहीं मिल रहा है. धनबाद व कोडरमा के व्यवसायी से 10 रुपये प्रति किलो की दर से बेचना पड़ रहा है. खेती से संतुष्ट हैं, लेकिन मूल्य से असंतुष्ट हैं. वर्तमान समय में 20 रुपये प्रति किलो का दर मिलना चाहिए. गोविंद प्रसाद दांगी ने कहा कि हमने 60 क्विंटल प्याज उपजाया है, लेकिन जिस उत्साह से खेती की है, उसका लागत भी नहीं मिल रहा है.

कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरी में कम कीमत में बेचना पड़ रहा है. उपज बंपर हुआ है, लेकिन कीमत अधिक नहीं मिलने से निराशा हो रही है. सरकार अगर प्याज क्रय केंद्र स्थापित करे, तो हमलोग आत्म निर्भर हो जायेंगे. रीतलाल दांगी ने कहा कि मैंने 65 क्विंटल प्याज उपजाया है. काफी अच्छी उपज हुई, लेकिन सही मूल्य नहीं मिल रहा है. 12 रुपये किलो की दर से बेचना पड़ रहा है. पिछले साल की अपेक्षा इस साल प्याज की अच्छी उपज हुई है. विजय दांगी ने कहा कि हमने 60 क्विंटल प्याज की खेती की है. मजबूरी में 12 रुपये किलो की दर से धनबाद के व्यापारी के पास बेचना पड़ रहा है.

Posted By : Sameer Oraon

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