जीना है तो झारखंड आइए, 24 राज्यों के मुकाबले गुजारा ज्यादा आसान

CPI यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि झारखंड में 24 राज्यों के मुकाबले जिंदगी गुजारना आसान है. इस लिस्ट में कई चौंकाने वाले रिपोर्ट भी सामने आए है. आइए जानते है क्या है इस रिपोर्ट में खास...

By Aditya kumar | May 21, 2024 5:39 PM

CPI of Jharkhand : मानव जीवन की मौलिक आवश्यकताएं तीन ही मानी गईं हैं- रोटी, कपड़ा, मकान. अगर ये तीनों सस्ती मिलें तो हर कोई खुश होता है. जिस जगह ये चीजें आपको कम खर्च में उपलब्ध हो जाएंगी, आप वहां रहना पसंद करेंगे. अगर आप भी अपने राज्य में रोज की महंगाई से तंग आ चुके हैं और बेहतर व सस्ते जगह की तलाश कर रहे हैं तो झारखंड आ जाइए. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के 24 राज्यों के मुकाबले झारखंड में महंगाई कम है. साथ ही शहरी इलाकों के मुकाबले यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई और भी कम है. आइए जानते है कौन-सी है वह रिपोर्ट और क्या है उसके मायने…

क्या होता है CPI?

Ministry of Statistics and Programme Implementation की ओर से अप्रैल 2024 का प्रोविशनल और मार्च 2024 का फाइनल CONSUMER PRICE INDEX (CPI यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) रिपोर्ट जारी किया गया है. इसके अनुसार बीते एक साल में भारतीय CPI के अनुसार वार्षिक महंगाई दर 4.83 प्रतिशत बढ़ी है. खास बात यह है कि शहरी क्षेत्रों में जहां महंगाई 4.11 प्रतिशत बढ़ी वहीं, ग्रामीण इलाकों में 5.43 प्रतिशत. अच्छी बात यह रही कि पांच टॉप कैटेगरी में (क्लोदिंग, फुटवियर, हाउसिंग, फ्यूल और लाइट) पिछले महीने के मुकाबले महंगाई कम हुई है. राज्यों को अगर देखें तो मणिपुर में जिंदगी गुजारना अभी सबसे ज्यादा कठिन है.

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लेकिन, झारखंड में 24 राज्यों के मुकाबले गुजारा करना ज्यादा आसान है. इस लिस्ट में सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं. सीपीआई रिपोर्ट में सभी राज्यों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बढ़ती महंगाई की दर का जिक्र हुआ है. झारखंड में अप्रैल 2024 का प्रोविजनल CPI शहरी क्षेत्रों में 185.2 है वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में आंकड़ा 182.3 है. मार्च का फाइनल सीपीआई शहरी क्षेत्रों में 184.0 है वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 182.5 है. इन दोनों को जोड़ने के बाद जो आंकड़ा सामने आ रहा है वो इस प्रकार है.

  • कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (अप्रैल 2024 प्रोविजनल) – 183.4
  • कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (मार्च 2024 फाइनल) – 183.1
Cpi of jharkhand

क्यों बनाया गया CPI?

इस सवाल पर चर्चा करते हुए ए.जी. ऑफिस ब्रदरहुड के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर तिवारी ने कहा कि सीपीआई का उद्देश्य परिवारों द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को मापना है. सीपीआई दर्शाता है कि उपभोक्ता वास्तव में कितना भुगतान करते हैं, जिसमें उपभोक्ता कर भी शामिल है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एक महत्वपूर्ण आर्थिक मीट्रिक है. यह वस्तुओं और सेवाओं की एक सीरीज के लिए उपभोक्ताओं द्वारा एक निश्चित अवधि में भुगतान की गई कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है. इसकी मदद से ही केंद्रीय (विशेषकर औद्योगिक) कर्मचारियों के बनने वाले किसी भी तरह के भत्ते को तय किया जाता है.

‘सीपीआई का उद्देश्य परिवारों द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को मापना है.’ – हरिशंकर तिवारी

कैसे तय होता है CPI ?

इन तमाम आंकड़ों के बीच एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर ये कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स तय कैसे किया जाता है. आसान भाषा में अगर इसे समझें तो इसका आधार साल 2012 को इस रिपोर्ट में लिया गया है. इसमें जिक्र किया हुआ है कि साल 2012 में जिस चीज की कीमत 100 रुपए थी उसकी कीमत आज के दिन कितना है. यानी झारखंड में साल 2012 में जो सामान 100 रुपए में बिकता था वो आज 183.4 में मिल रहा है. इसी के अनुसार, किसी भी राज्य का वर्तमान CPI तय किया जाता है. वार्षिक CPI को कैलकुलेट करने का एक तरीका होता है. साथ ही वर्तमान CPI और पिछले CPI की मदद से महंगाई दर भी निकाली जाती है.

  • वार्षिक CPI = पिछले साल किसी वस्तु का मूल्य / चालू वर्ष में उस वस्तु का मूल्य ×100​
  • महंगाई दर = (वर्तमान CPI−पिछला CPI) / पिछला CPI ×100

किन राज्यों के मुकाबले झारखंड में गुजारा ज्यादा आसान?

Consumer price index

इस लिस्ट के अनुसार, महंगाई दर निकाला जाता है. इसके अनुसार झारखंड समेट आठ राज्यों में जीवन जीना आसान है क्योंकि महंगाई का दर बहुत कम बढ़ा है. सबसे अधिक मणिपुर फिर ओडिशा में महंगाई दर बढ़ा. देखिए किस राज्य में कितना है महंगाई.

Mospi official website

शहर और ग्रामीण इलाकों में कीमतों में अंतर क्यों?

इन सबके बीच एक सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की कीमतों में इतना अंतर क्यों है. बात अगर झारखंड की करें तो यहां शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई की दर कम है. वहीं, मणिपुर राज्य में ठीक इसके विपरीत है. मणिपुर के ग्रामीण इलाकों में CPI 218.6 है वहीं, शहरी क्षेत्रों में मात्र 183.8 है. आखिर ये विषमता क्यों? इस पर हमने अर्थशास्त्री डॉ कामिनी कुमारी से बात की. उन्होंने बताया कि झारखंड में अधिकतर चीजों का उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में होता है. इस वजह से कई तरह की दर वहां पर नहीं लगती है, जबकि शहरी क्षेत्रों तक उसके पहुंचने में कुछ टैक्स, कुछ लाने-जाने का खर्च, ये सब मिलकर कीमत अधिक हो जाती है. वहीं, मणिपुर में रोजमर्रा के इस्तेमाल की अधिकतर चीजें बाहर से ही आती हैं. वह सामान बाहर से शहर में आते हैं इसलिए वहां कम दर में वस्तु उपलब्ध है, जबकि ग्रामीण इलाकों तक उन चीजों के पहुंचते-पहुंचते कीमत बढ़ जाती है.

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