बाबाधाम में 1.58 लाख श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

बाबा मंदिर में प्रतिदिन कांवरिये गंगाजल लेकर आ रहे हैं, जिससे मंदिर परिसर केसरियामय हो गया है और शिवभक्तों में उत्साह भरा हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 3, 2024 7:54 PM

बाबा पर चढ़ाये गये जल को नीर के रूप में साथ जाते हैं कांवरिया संवाददाता, देवघर. बाबा मंदिर में प्रतिदिन कांवरिये गंगाजल लेकर आ रहे हैं, जिससे मंदिर परिसर केसरियामय हो गया है और शिवभक्तों में उत्साह भरा हुआ है. श्रावणी माह के 13वें दिन शनिवार को 1,58,210 श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया, जिसमें बाह्य अरघा से 49,253 और आंतरिक अरघा से 1,08,957 श्रद्धालुओं ने जल चढ़ाया. इसके अतिरिक्त, शीघ्र दर्शनम कूपन के माध्यम से भी जलार्पण हुआ, जिससे कई श्रद्धालुओं को इस अनुभव का हिस्सा बनने का अवसर मिला. इस प्रकार, पूरा दिन भक्तिमय वातावरण में बीता, जहां हर किसी के दिल में बाबा के प्रति असीम श्रद्धा और प्रेम था।कांवरियों की लंबी कतार बाबा मंदिर से करीब चार-पांच किमी दूर बीएड कॉलेज तक पहुंच गयी थी. यह नज़ारा बहुत ही अद्भुत और आकर्षक था, जहां हजारों लोग अपनी श्रद्धा के साथ कतार में खड़े थे. हालांकि, दोपहर तक यह कतार सिमट कर दो-तीन किमी दूर शिवराम झा चौक तक आ गयी, जहां श्रद्धालुओं को एक-एक करके प्रवेश दिया जा रहा था. जलार्पण के बाद, श्रद्धालु बाबा को चढ़ाए गये जल और दूध को नीर स्थान से लेने के लिए भीड़ लगाए हुए थे, जिससे माहौल और भी आध्यात्मिक हो गया. कांवरिये और श्रद्धालु गहरी आस्था के साथ नीर ग्रहण कर रहे थे, जिसे वे अपने-अपने डिब्बों में भरकर ले जाते हैं. मान्यता है कि इस नीर से असाध्य रोग भी ठीक हो सकते हैं, यही वजह है कि लोग इसे अपने घर लेकर जाते हैं और इसके बारे में विशेष ध्यान रखते हैं. सुबह के कांचा जल का नीर भी श्रद्धालुओं ने डिब्बों में भरकर घर ले जाने के लिए रखा, जिसे खासकर परिवार के सभी सदस्य उपयोग में लाते हैं. शनिवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु नीर भरकर ले जा रहे थे, और उनके चेहरे पर भक्ति की चमक साफ देखी जा सकती थी. इसके अलावा, इस दिन 51 कांवरिये वृंदावन से बाबा को प्रसन्न करने के लिए मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन कर रहे थे, जिससे वातावरण में भक्ति की भावना और भी बढ़ गयी थी. जलार्पण के बाद, पार्वती मंदिर में स्पर्श पूजा करने के बाद कांवरियों ने विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी किये, जिनमें ध्यान और प्रार्थना शामिल थीं.

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