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जिला परिषद के पास पड़े हैं 1.75 करोड़, गांवों में पेयजल संकट बरकरार

गांवों में पेयजल की परेशानी को दूर करने के लिए जिला परिषद को 15वीं वित्त आयोग के टाइड फंड से सात मार्च को ही मिले 1.17 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पा रहे हैं.

संवाददाता, देवघर

पेयजल का संकट अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकराल रूप लेने लगा है. जल जीवन मिशन के तहत लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लाखों खर्च हो रहे हैं, मगर आये दिन योजना के संचालन में अनियमितता और स्थल चयन को लेकर शिकायतें आ रहीं हैं. इधर, गांवों में पेयजल की परेशानी को दूर करने के लिए जिला परिषद को 15वीं वित्त आयोग के टाइड फंड से सात मार्च को ही मिले 1.17 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पा रहे हैं. चापाकलों के अभाव में लोगों को दूरी तय कर पीने का पानी लाना पड़ रहा है तो कई जगह कुएं का प्रयोग किया जा रहा है. गाइडलाइन के अनुसार जिला परिषद को मिली इस राशि को पेयजलापूर्ति व सफाई में खर्च करना है. लेकिन, तीन महीने बीतने के बाद भी इस राशि से नये चापाकल की बोरिंग व चापाकल की मरम्मत नहीं करायी गयी. सात मार्च को पंचायतीराज विभाग से यह राशि देवघर जिला परिषद में हस्तांतरित कर दी गयी व 16 मार्च को आचार संहिता लागू हो गया. छह जून को आचार संहिता समाप्त हो गयी तो लगा की भीषण गर्मी में एक महीने में भी इस राशि से लोगों को राहत मिलेगी. मगर, पेयजल के लिए एक रुपये भी खर्च नहीं हो सके. 27 जून को जिला परिषद की बैठक में चापाकलों की बोरिंग कराने का प्रस्ताव पारित किया गया है, लेकिन जिप सदस्याें से अब तक सूची नहीं ली गयी है.

10 पंचायत समितियों को भी भेजे गये थे लाखों रुपये

पेयजल व सफाई के लिए पंचायत समिति के खाते में भी सात मार्च को 15वीं वित्त की टाइड फंड से राशि उपलब्ध करायी गयी. जिले के सभी 10 पंचायत समिति में यह राशि उपलब्ध करायी गयी है. पूरे जिले में 10 प्रखंडों में पंचायत समिति को 2.62 करोड़ भेजे गये हैं. इसमें देवघर में 30.53 लाख, मोहनपुर में 37.40 लाख, सारवां में 19.27 लाख, सोनारायठाढ़ी में 16.29 लाख, देवीपुर में 23.20 लाख, मधुपुर में 28.80 लाख, मारगाेमुंडा में 18.34 लाख, करौं में 35.89 लाख व पालोजोरी प्रखंड में 34.23 लाख रुपये प्राप्त हुए थे. कई प्रखंडों में अभी राशि पड़ी हुई है. मोहनपुर प्रखंड के भीखना पंचायत समिति सदस्य सीएन दुबे, सरासनी पंचायत समिति सदस्य दीनदयाल महथा व मलहारा पंचायत समिति सदस्य खुशबू देवी ने कहा कि पंचायत समिति में फंड पड़े रहने के बाद भी पेयजल पर खर्च नहीं हो रहा है, जबकि पंचायतों में पेयजल की समस्या गंभीर है.

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क्या कहतीं हैं जनप्रतिनिधि

हमारे क्षेत्र में पेयजल संकट बढ़ गया है. बैठक में नये चापाकल की बोरिंग की डिमांड की गयी, लेकिन कोई पहल ही नहीं हो रही है. आखिर फंड के पड़े रहने से क्या फायदा होगा, जब जनहित में उपयोग ही नहीं होगा.

वीणा देवी, जिप सदस्य,

देवघर प्रखंड

क्या कहते हैं पदाधिकारी

फंड सात मार्च को प्राप्त तो हुआ है, लेकिन विभाग से खर्च करने का पत्र 21 मार्च को मिला है. 16 मार्च को ही आचार संहिता लागू हो चुका था, जिस कारण राशि खर्च नहीं हो पायी है. 27 जून को जिला परिषद की बैठक में प्रस्ताव लिया गया है. योजना चयन की प्रक्रिया शुरू हुई है. राशि अब खर्च कर दी जायेगी. पंचायत समिति में खर्च कर उपयोगिता प्रमाण पत्र बीडीओ से मांगी गयी है.

रणवीर कुमार सिंह, डीपीआरओ,

देवघर————————————

* भीषण गर्मी में पीने के पानी के लिए तरसत रहे ग्रामीण

* सात मार्च को जिला परिषद व पंचायत समितियों को मिली थी राशि

* छह जून को आचार संहिता समाप्त होने के बाद भी खर्च नहीं किये गये रुपये

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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