उन्होंने कहा कि आज ला-ओपाला का चीन समेत कई देशो के कारखानों से प्रतिस्पर्धा है. चैंबर प्रयास कर रहा है कि कारखाना सभी के सहयोग से चले. उन्होंने बताया कि राजनीतिक हस्तक्षेप व यूनियन बाजी से कारखाना को बचाने में सरकार मदद करे. अधिकारियों ने बताया कि कारखाना प्रबंधन ने चैंबर को आश्वासन दिया है कि मजदूरो को सरकारी प्रावधान के अनुसार मिलने वाले सभी लाभ दिये जायेंगे. मजदूर आश्वासन दें कि चार घंटे की जगह साढ़े पांच घंटे काम करेंगे.
उत्पाद में लागत बढ़ने के कारण ऐसा जरूरी हो गया. अधिकारियों ने कहा कि मधुपुर में तकरीबन साढ़े छह सौ मजदूर कार्यरत हैं. लेकिन इसी कंपनी के उत्तराखंड का कारखाना जो ऑटोमेटिक है, वहां पूरे सिर्फ 60 मजदूरों से सभी काम पूरा हो जाता है. लेकिन मानवता के नाते प्रबंधन मधुपुर के कारखाने को बंद नहीं करना चाहता है. चैंबर के अधिकारियों ने पांच सूत्री मांगें भी रखी हैं. जिसमें कारखाना बंद होने से बचाने के लिए प्रबंधन को मदद करने व संरक्षण देने, मजदूरों के भविष्य को देखते हुए यूनियन से कारखाना को सहयोग देने, नेताओं से प्रबंधन व मजदूरों के बीच समन्वय बनाने व अनावश्यक दखलंदाजी नहीं करने की अपील की है. झारखंड में श्रम नीति में वांछित बदलाव लायें ताकि उद्योग व रोजगार के अवसर को प्रोत्साहन मिले. मौके पर मधुपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष परमेश्वर लाल गुटगुटिया, स्थानीय व्यवसायी सह देवघर जिला रेड क्रास सोसाइटी के अध्यक्ष अरूण गुटगुटिया आदि मौजूद थे.