जलमीनार बंद, पानी की किल्लत

सारवां: लाखों खर्च कर गांवाें में पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जलमीनार तो बना दी गई. लेकिन तीन साल से जलमीनार बंद पड़ी है. ग्रामीण दूर-दराज से पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं. लाइफ लाइन कहा जाने वाला अजय नदी का भी बुरा हाल है. जल स्तर भी काफी नीचे चला गया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 9, 2017 8:44 AM
सारवां: लाखों खर्च कर गांवाें में पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जलमीनार तो बना दी गई. लेकिन तीन साल से जलमीनार बंद पड़ी है. ग्रामीण दूर-दराज से पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं. लाइफ लाइन कहा जाने वाला अजय नदी का भी बुरा हाल है.

जल स्तर भी काफी नीचे चला गया है. हरेश वर्मा, नंदु कुमार वर्मा, शिवचरण मांझी, पार्थनंदन,नवीन वर्मा, श्याम वर्मा, सरलू रवानी, नुनुजी साह, संजय साह, मनोज पांडेय, राजेश पांडेय, कारू पांडे, मुकेश राय, टुनटुन रवानी, राजा शर्मा, भीम राउत, राजेंद्र राणा, पप्पु राणा, दिलीप रवानी, सलीम अंसारी, अनवर अंसारी, अनूप साह आदि ने कहा कि जलमीनार से एक बूंद पानी नहीं नसीब हुआ है.

सभी तालाब व जोरिया तीन माह पहले ही सूख गये हैं. लोगों को प्यास बुझाने के लिए काफी कठिनाई के बाद दूर से पानी ढोकर लाना मजबूरी हो गयी है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अविलंब बंद जल मीनार अविलंब चालू कराने की मांग की है. विधायक बादल की पहल पर अजय नदी से वाटर सप्लाई सुनिश्चित करने के लिये रांची से टीम मंगा कर मापी करायी गयी व उसका प्राक्कलन भी बना कर भेजा गया था. लेकिन विभाग इस पर अमल नहीं कर सकी. स्थिति यह है कि किसी प्रकार के समारोह या आयोजन पर टैंकर से पेयजल की व्यवस्था करनी पड़ती है.

Next Article

Exit mobile version