संताल परगना में नहीं पनपा उद्योग

-अजय यादव- देवघरः बिजली, उद्योग व रोजगार तीनों एक दूसरे के पूरक हैं. अगर बिजली नहीं रहेगी तो उद्योग का प्रसार नहीं हो सकेगा और उद्योग नहीं रहेंगे तो लोगों को रोजगार नहीं मिल सकेगा. संतालपरगना औद्योगिक रूप से काफी पिछड़ा है. न ही एकीकृत बिहार में और न ही झारखंड बनने के बाद ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2014 4:36 AM

-अजय यादव-

देवघरः बिजली, उद्योग व रोजगार तीनों एक दूसरे के पूरक हैं. अगर बिजली नहीं रहेगी तो उद्योग का प्रसार नहीं हो सकेगा और उद्योग नहीं रहेंगे तो लोगों को रोजगार नहीं मिल सकेगा.

संतालपरगना औद्योगिक रूप से काफी पिछड़ा है. न ही एकीकृत बिहार में और न ही झारखंड बनने के बाद ही उद्योग धंधे स्थापित करने की पहल हुई. झारखंड बनने के बाद से एक भी उद्योग संतालरगना में स्थापित नहीं हुआ.

बिहार के समय जो उद्योग थे, धराधर बंद हो गये

एकीकृत बिहार में 1980 के आसपास इंडट-ीयल एरिया में 210 बड़ी इकाईयों की स्थापना की गयी थी.बिरला का एस्वेस्टस कारखाना, हथुआ का भारी मशीनरी पाटर्स निर्माण कारखाना, बुलेन फैक्ट-ी, निरंजन टेक्सआईल्स, ईथर इंडिया कंपनी, मोम फैक्ट्री, लौह निर्माण फैक्ट्री आदि लगाये गये थे. बड़ी-बड़ी मशीने, विशालकाय संयंत्र, भवनें बनायी गयी. पर आज लगभग सब गायब है. लेकिन 602 एकड़ जमीन पर आज भी वीरानी छायी हुई है. चाहे जसीडीह का औद्योगिक क्षेत्र हो या फिर देवघर का. मधुपुर प्रक्षेत्र के कल कारखाने हो या संताल के अन्य क्षेत्रों में चलाये जा रहे लघु-कुटीर उद्योग.

पावर प्लांट की जमीन अधिग्रहण में हो रही देरी

अभी देवीपुर में इंडस्ट्रीयल एरिया के लिए जमीन का अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. औद्योगिक विकास के लिए जनप्रतिनिधियों ने पहल की तो सरकार ने निष्क्रियता दिखायी. अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट सेंक्शन हुआ लेकिन जमीन अधिग्रहण के पेच में फंसकर योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही है.गोड्डा में जिंदल का पावर प्लांट स्थापित हो रहा है लेकिन वहां भी जमीन का पचरा है.

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