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हैलो, मैं बैंक से बोल रहा हूं, …और हो जाता है खाते से पैसा गायब

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By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2017 1:52 AM

जामताड़ा. यहां के साइबर ठगों से परेशान है देशभर की पुलिस

अब तक 50 से अधिक साइबर आरोपित को विभिन्न प्रांतों की पुलिस गिरफ्तार कर ले जा चुकी है
देवघर : झारखंड का जामताड़ा जिला देश भर की पुलिस के रडार पर है. यहां के साइबर ठग लगातार पुलिस को चुनौती दे रहे हैं. देश भर में लोगों के बैंक खाते से रुपये उड़ानेवाले साइबर ठगी के अधिकतर आरोपित जामताड़ा जिले के करमाटांड़ और इसे पड़ोसी थाना क्षेत्र नारायणपुर से ताल्लुक रखते हैं. इस इलाके से हाल के समय में की गयी साइबर ठगी का पुलिस रिकॉर्ड इस बात को प्रमाणित करता है. इन दोनों थाना क्षेत्रों में साइबर क्राइम की पड़ताल के लिए दिल्ली, हरियाणा,
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान-निकोबार, ओड़िशा, जम्मू कश्मीर समेत देश के अधिकांश राज्यों की पुलिस पहुंच चुकी है. हर दिन किसी न किसी राज्य व जिले की पुलिस यहां साइबर आरोपितों की खोज में आती है. यहां से करीब 50 से अधिक साइबर आरोपित को विभिन्न प्रांतों की पुलिस गिरफ्तार कर अपने साथ ले जा चुकी है.
अब तक 350 आराेपित जा चुके हैं जेल
जून 2015 से लगातार करमाटांड़ व नारायणपुर पुलिस की छापेमारी जारी है. अन्य राज्यों की पुलिस अब तक 50 से अधिक साइबर ठगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी अन्य जिलों की पुलिस द्वारा करीब 100 से अधिक साइबर ठगी के आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है. जामताड़ा एसपी जया राय ने जब से जिले की कमान संभाली है, तब से जून माह तक 200 साइबर आरोपितों की गिरफ्तारी हुई है. इन आरोपितों के पास से नगद 12 लाख रुपये जब्त हुए हैं.
आरोपितों के पास से 280 मोबाइल सहित 287 पेनकार्ड और विभिन्न बैंकों के करीब 111 पासबुक जब्त कर फ्रीज कराये गये हैं. करमाटांड़ थाना क्षेत्र में चार अप्रैल को एक स्क्ॉरपियो व एक सूमो िवक्टा, 17 अप्रैल को साइबर आरोपितों के पास से पांच बाइक भी जब्त किया गया था.
एक हजार से अधिक युवाओं का सिंडिकेट : करमाटांड़ थाना क्षेत्र में कुल 150 गांव हैं. पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 100 गांवों के युवा साइबर अपराध से जुड़ गये हैं. इस काम में 12 से 25 साल के करीब 80 प्रतिशत युवा जुड़े हुए हैं. एक हजार से अधिक युवाओं का सिंडिकेट चल रहा है. किसी भी व्यक्ति से एटीएम नंबर व पिन जानने के बाद खाते से रुपये उड़ाने में महज तीन मिनट का समय लगता है. ऐसे युवाओं को उनके परिजनों का भी समर्थन भी प्राप्त है.
केंद्रीय मंत्री व सिने स्टार को भी लगा चुके हैं चूना
एक केंद्रीय मंत्री से साइबर ठगों ने करीब 1.80 लाख रुपये ठग लिये. इसकी जांच करने आयी पार्लियामेंट स्ट्रीट नयी दिल्ली थाने के इंस्पेक्टर राजेश ने करमाटांड़ से दो अारोपितों को पकड़ा था.
केरल के सांसद से 1.60 लाख की ठगी की गयी थी. यह मामला संसद भवन, दिल्ली थाने में दर्ज कराया गया था. उस कांड में भी यहां से धनंजय व पप्पू मंडल की गिरफ्तारी हुई थी.
एक बड़े चर्चित सिने स्टार से दो लाख रुपये की ठगी की गयी थी. महाराष्ट्र पुलिस इसकी जांच करने पहुंची थी.
इसके अलावा कई न्यायिक पदाधिकारियों समेत राज्य व केंद्र के दर्जनों पदाधिकारियों को भी साइबर आरोपितों ने चूना लगाया है.
देवघर समेत अन्य इलाका भी आ चुका है साइबर अपराध की जद में
साइबर अपराध में सम्मिलित युवा किस सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं, पुलिस अब तक इसका पता नहीं कर सकी है. धीरे-धीरे साइबर अपराधियों की जद में देवघर जिले का करौं, घोरमारा, चितरा, आसनबनी, गिरिडीह जिले का बेंगाबाद, गांडेय, धनबाद जिले का निरसा, गोविंदपुर व टुंडी का इलाका भी आ चुका है. साइबर क्राइम अब आसानी से पैसे कमाने का जरिया बन चुका है. पढ़ाई-लिखाई छोड़ परिवारवाले अपने बच्चों को भी इसी में लगा रहे हैं. महिलाएं भी अब इसमें पीछे नहीं हैं.
खुद को अपडेट कर रहे साइबर आरोपित
साइबर आरोपित अब बैंक अधिकारी बनकर अकाउंट से आधार लिंक कराने का देते हैं झांसा
अाधार नंबर व ओटीपी जानने के बाद तुरंत साफ कर देते हैं अकाउंट को
महज तीन मिनट में खाते से उड़ा लेते हैं रुपये
पुलिस के अनुसार पहले करमाटांड़ क्षेत्र के दो युवाओं ने दिल्ली में ट्रेनिंग ली, किंतु अब इलाके के अधिकांश युवाओं ने इसमें महारत हासिल कर ली है. इस धंधे में अब तो ग्रामीण इलाकों की लड़कियां भी संलिप्त हो रही है. समय के हिसाब से साइबर आरोपित खुद को अपडेट कर अपराध के तरीके भी बदल रहे हैं. पहले तो बैंक अधिकारी बनकर एटीएम नंबर व पिन मांगकर ठगी की जाती थी, किंतु अब साइबर आरोपित ग्राहकों को बैंक अकाउंट से अाधार लिंक कराने की बात कहते हैं.
झांसा देकर आधार नंबर व ओटीपी की जानकारी लेने के बाद उसका अकाउंट ही साफ कर देते हैं. इसके बाद दूसरे स्तर पर गिरोह के सदस्य पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. वहीं तीसरे स्तर पर सदस्य पैसे की निकासी व ऑनलाइन खरीदारी करते हैं. साइबर क्राइम से जुड़े युवा-किशोर अधिक पढ़े-लिखे भी नहीं हैं, किंतु फर्राटेदार अंगरेजी व खड़ी हिंदी बोल लेते हैं, ताकि सामनेवाला प्रभावित होकर उनके चंगुल में फंस जाये. बैंक अधिकारी बन लोगों से कॉल सेंटर की तरह एक मोबाइल से बात करता है और दूसरा एंड्रायड मोबाइल व लैपटॉप-टैब के जरिये काम आगे बढ़ाता है.
मोबाइल नंबर को बैंक के नाम से करते हैं सेव
ट्रू-कॉलर में दिखता का बैंक
देवघर. साइबर क्राइम के अपराधी इतने शातिर हैं कि हर दिन नये-नये फंडे इजाद कर रहे हैं. झांसा देने के सारे प्लेटफार्म तैयार रखते हैं. पीड़ितों के अनुसार, इन दिनों जिस नंबर से फोन आता है, ट्रू-कॉलर में वह नंबर बैंक के नाम से दिखता है. ऐसे में जैसे ही फोन आता है, अच्छे-अच्छे लोग धोखा खा जाते हैं. उनको पहली बार में ही लगता है कि बैंक से ही फोन है. इसके बाद जिस तरह से उनसे बात की जाती है. वे कुछ समझ नहीं पाते हैं और अपना एटीएम नंबर व कोड बता देते हैं. इसके बाद उसका अकाउंट खाली हो जाता है.
कभी लोन देने, कभी लॉटरी लगने तो कभी एटीएम लॉक की बात कर बनाता है शिकार
देवघर. ठगी के लिए साइबर अपराधी फोन करने वालों को कई तरह से फंसाते हैं. फोन करके कभी लोन देने की बात करते हैं ताे कभी लॉटरी लगने की. बताया जाता है कि सबसे अधिक एटीएम लॉक होने की बात बताकर फंसाते हैं.
ऐसे करते हैं फोन :
ट्रीन, ट्रीन, ट्रीन….
पीड़ित : हैलो
अपराधी : सर, मैं बैंक से बोल रहा हूं, आपका एटीएम लॉक हो गया है.
पीड़ित : अब क्या करें ?
अपराधी : इसीलिए मैंने फोन किया हूं, अभी मैं उसे ही सोल्व करने का प्रयास कर रहा हूं.
पीड़ित : अब क्या होगा?
अपराधी : कोशिश कर रहा हूं, अब फोन पर बने रहें. अपना एटीएम बाहर निकाल कर रखें.
पीड़ित : ठीक है.
अपराधी : जी, आपका अकाउंट खुल गया है, अब तुरंत अपना एटीएम नंबर बतायें.
पीड़ित : 2356…………
अपराधी : ठीक है काम हो रहा है. अब पीन नंबर बतायें. और, हां एटीएम खुलते ही अपना पीन नंबर तुरंत बदल लेंगे. (यह कह कर भरोसे में लेता है)
पीड़ित : ठीक है.
अपराधी : पीन नंबर बतायें.
पीड़ित : 21..
अपराधी : इंतजार करें, आप का एटीएम अनलॉक हो रहा है.
इसके बाद फोन कट जाता है. फोन कटने के बाद ही पीड़ित के मोबाइल पर मैसेज आता है कि अकाउंट से राशि निकल गया है.

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