लापरवाही पड़ी भारी, छिन गयी तीन मासूम बच्चों की जिंदगी

मधुपुर: बड़बाद में ईंट-भट्ठा के लिए बनाये गये गड्ढे ने तीन मासूमों की जिंदगी छिन ली. आज उन हंसते खेलते परिवार में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. घर में लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है. घरवालों ने कभी नहीं सोचा होगा कि कल तक आंगन में जिन बच्चों के खेलने-कूदने का शोर उनकी कानों तक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2017 10:37 AM
मधुपुर: बड़बाद में ईंट-भट्ठा के लिए बनाये गये गड्ढे ने तीन मासूमों की जिंदगी छिन ली. आज उन हंसते खेलते परिवार में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. घर में लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है. घरवालों ने कभी नहीं सोचा होगा कि कल तक आंगन में जिन बच्चों के खेलने-कूदने का शोर उनकी कानों तक गूंजता था वही आज सन्नाटे में पसर जायेगा.

गुडा मुर्मू व उसकी पत्नी अपने दो लाल अंशु व इशु के खोने से बदहवास पड़े हैं. अंशु-इशु के फुफेरे भाई पथलचपटी निवासी चुटरा हांसदा की भी मौत ने उन्हें सदमे में खड़ा कर दिया है. इस घटना से ना सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही बल्कि व्यवस्था की अनदेखी भी उजागर हुई है.


नहाने के लिए गड्ढे के पानी में जाना ही तीनों बच्चों की मौत की वजह बनी. मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने गुडा मुर्मू ने बताया कि उनके घर में ना ही चापानल है और ना ही कुआं. घर से कुछ दूरी पर एक सरकारी चापानल है जो पिछले एक साल से बंद पड़ा है. घर के पुरुष व महिला नजदीक के ही एक जोरिया में प्रतिदिन नहाने जाते हैं. पीने के लिए पानी की भी व्यवस्था घर से काफी दूरी पर स्थित चापानल या दूसरे के कुआं से लाकर करनी पड़ती है.
घटना के दिन भी दोनों बच्चे के पिता मजदूरी करने व मां जोरिया में नहाने गयी थी. इसी दौरान उनके दोनों बेटे अंशु व इशु के अलावा चुटरा हांसदा घर के नजदीक स्थित ईंट-भट्ठे के लिए बने गड्ढे के पानी में नहाने चले गये और उनकी मौत हो गयी. विभाग सरकारी चापानल बनवा देता तो शायद उनके बच्चे नहाने के लिए गड्ढे में नहीं जाते और अगर ईंट भट्टा संचालक गड्ढा खोदकर नहीं छोड़ा हाेते या फिर गड्ढे की घेराबंदी की जाती तो शायद यह हादसा नहीं होता.

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