गुड न्यूज : कभी चलने के लिए थी महज पगडंडी, आज टू लेन सड़क पर 24 घंटे चल रहे वाहन, एक सड़क से बदल रही बारा की तसवीर

देवघर: मोहनपुर थाना अंतर्गत बिहार सीमा से सटे बारा छातमी गांव की पहचान कभी अपराधियों का इलाका व असुरक्षित क्षेत्र के रूप में थी. बारा पंचायत अक्सर नक्सली घटना, हत्या, लूट व बमबाजी का गवाह बनता था. कहा जाता है कि 15 साल पहले पुलिस बारा गांव में दिन में भी जाने से कतराती थी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2017 10:39 AM
देवघर: मोहनपुर थाना अंतर्गत बिहार सीमा से सटे बारा छातमी गांव की पहचान कभी अपराधियों का इलाका व असुरक्षित क्षेत्र के रूप में थी. बारा पंचायत अक्सर नक्सली घटना, हत्या, लूट व बमबाजी का गवाह बनता था. कहा जाता है कि 15 साल पहले पुलिस बारा गांव में दिन में भी जाने से कतराती थी. पुलिस को पूरी तैयारी के साथ बारा के इलाके में घुसना पड़ता था.

बारा गांव जाने के लिए कोई कच्ची सड़क तक नहीं थी. चार पहिया तो दूर दो पहिया वाहन तक जाने की सुविधा नहीं थी. विकास से कोसों दूर झारखंड सीमा का बिल्कुल अंतिम गांव बारा है. अब महज एक सड़क ने बारा गांव की पूरी तसवीर बदल दी है. जहां कभी कोई वाहन जाने तक की सुविधा नहीं थी. आज 24 घंटे उस गांव से वाहनों का आवागमन होता है. पथ निर्माण विभाग से इन दिनों दो राज्यों को जोड़ने वाली दर्दमारा से रिखिया तक 12 किलोमीटर लंबी सड़क गांव होते हुए बनायी है.

इस टू लेन सड़क से इन दिनों कांवरिया वाहनों को दर्दमारा से बारा होते हुए रिखिया के जरिये दुमका रोड भेजा जा रहा है. बासुकिनाथ जाने वाली वाहन अब बारा गांव से ही गुजरते हैं. इससे अब बारा गांव के इलाके में रोजगार की संभावना बढ़ गयी है. लोगों ने भी सड़क निर्माण के लिए विभाग का पूर्ण सहयोग किया गया. जमीन अधिग्रहण में मुआवजा के लिए कोई विराेध नहीं हुआ. लोगों ने स्वेच्छा से अपनी जमीनें तक ते डाली. आखिर जहां कभी पक्की सड़क तक की उम्मीद तक नहीं थी. आज वहां घर से बाहर निकलते ही सुंदर टू लेन स्टेट हाइवे को जोड़ने वाली सड़क जो बन गयी है.

80 वर्ष की जिंदगी में पहली बार देखा बदलाव
ग्रामीण सुरेन मरीक ने बताया कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका गांव एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ने वाला मार्ग बनेगा. गांव से देवघर शहर तक जाने के लिए ढंग का रास्ता नहीं था. बरसात के दिनों में कच्ची सड़क व जोरिया की वजह से साइिकल कंधे पर टांग कर जाना पड़ता था. आज उस गांव से 24 घंटे बड़ी-बड़ी गाड़ियां गुजरती हैं. अपनी 80 वर्ष की जिंदगी में अपनी गांव के बदलाव को देख मैं बहुत खुश हूं. लगता है अब मेरे पोते-पोतियों का भविष्य उज्जवल होगा.
कैसे आया बदलाव
सड़क बनने के बाद लोगों का जुड़ाव न सिर्फ जिला मुख्यालय बल्कि रांची और पटना जैसे शहरों से सीधा होने लगा है. लोगों में जागृति आयी है. वे आसपास के इलाकों व बड़े शहरों की जीवन शैली से प्रेरणा लेने लगे हैं. इससे स्कूल-कॉलेज जाना आसान हो गया है. खासकर लड़कियों की शिक्षा में बढ़ोतरी हुई है. लड़के-लड़कियों में तकनीकी शिक्षा की ललक जगी है. नयी पीढ़ी शिक्षित हुई तो उसने समाज को ही बदलने की ठान ली है.

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