पानी की तरह बह गया पैसा, चारागाह बना स्टेडियम
डुमरिया गांव में एक करोड़ की लागत से हुआ स्टेडियम निर्माण तीन साल पहले हुआ था मैराथन सारठ : एक करोड़ की लागत से सारठ प्रखंड के डुमरिया में बने मिनी स्टेडियम में खिलाड़ियों के खेलने का सपना तो पूरा नहीं हो सका. हां, यह स्टेडियम पशुओं का चारागाह जरूर बन गया. लगभग दस साल […]
डुमरिया गांव में एक करोड़ की लागत से हुआ स्टेडियम निर्माण
तीन साल पहले हुआ था मैराथन
सारठ : एक करोड़ की लागत से सारठ प्रखंड के डुमरिया में बने मिनी स्टेडियम में खिलाड़ियों के खेलने का सपना तो पूरा नहीं हो सका. हां, यह स्टेडियम पशुओं का चारागाह जरूर बन गया. लगभग दस साल पहले बने इस स्टेडियम में जितने राजनीतिक दलों के कार्यक्रम हुए हैं. चुनाव के दौरान इसी मैदान से जनता के लिए वायदे भी किये गये. लेकिन अपने उद्देश्यों को यह स्टेडियम पूरा नहीं कर सका. पहली बार 2014 में पूर्व विधायक चुन्ना सिंह द्वारा मैराथन दौड़ का आयोजन कराया गया जो इस स्टेडियम का का एकमात्र कार्यक्रम था. तीन साल से खिलाड़ी यहां खेलने के लिए तरस रहे हैं. स्टेडियम विभागीय उपेक्षा का शिकार होकर रह गया और खिलाड़ी मायूस हैं.
खेलने की सुविधा नहीं, कैसे निखरेगी प्रतिभा
स्टेडियम निर्माण में राशि बंदरबांट का आरोप
उखड़ रहे शेड, टूटे शीशे
मारगोमुंडा : प्रखंड मुख्यालय का स्टेडियम पांच वर्ष बाद भी अधूरा पड़ा है. इसका निर्माण लाखों खर्च कर किया जा रहा था. इतना ही नहीं स्टेडियम अब जर्जर भी होने लगा है. उसके भवन के सभी शीशे टूट चुके हैं.
स्टेडियम के ऊपर लगे शेड का एसबेस्टस भी उखड़ रहा है. सरकार द्वारा स्थानीय खिलाड़ियों के लिए बनाया जा रहा स्टेडियम अब खिलाड़ियों को मुंह चिढ़ा रहा है. स्टेडियम के मैदान में झाड़ी उग आयी और उबड़- खाबड़ हो गया है.
आरोप है कि संवेदक द्वारा स्टेडियम निर्माण के पूर्व ही पैसे की निकासी भी कर ली गयी है. लेकिन स्टेडियम निर्माण के नाम पर जमकर राशि की बंदबांट की गयी है. कागज पर स्टेडियम बन गया है.
कहते हैं जिला खेल पदाधिकारी
मेरे पास ऐसी कोई सूचना नहीं है. स्टेडियम बनकर कार्यक्रम नहीं हुआ. मेरा प्रयास रहेगा कि सारठ में जो भी खेल आयोजन या अन्य कार्यक्रम हों वे इसी स्टेडियम में किया जाय.
प्रवीण प्रकाश, जिला खेल पदाधिकारी