खतरनाक: कहीं बड़े रेल हादसे, की वजह न बन जाये यह पुल
मधुपुर: नियम-कानून ताकर पर रख बालू चोरों ने मधुपुर-मथुरापुर के बीच मुख्य रेलखंड के नवापतरो नदी पर बने पुल के पास खनन कर पुल के पिलर के आसपास खोखला कर दिया है. इस रेलखंड से दुरंतो, राजधानी एक्स. से लेकर कई प्रमुख ट्रेनें गुजरती है. यह पुल किसी बड़े रेल हादसे की वजह बन रहा […]
मधुपुर: नियम-कानून ताकर पर रख बालू चोरों ने मधुपुर-मथुरापुर के बीच मुख्य रेलखंड के नवापतरो नदी पर बने पुल के पास खनन कर पुल के पिलर के आसपास खोखला कर दिया है. इस रेलखंड से दुरंतो, राजधानी एक्स. से लेकर कई प्रमुख ट्रेनें गुजरती है. यह पुल किसी बड़े रेल हादसे की वजह बन रहा है.
रेल प्रशासन ने पिछले साल ही पुल की मरम्मत कर आसपास पत्थर बिछाकर तार की जाली लगा दी है, ताकि पुल को नुकसान नहीं हो, लेकिन बालू माफिया के बढ़ते मनोबल से रेल पुल खतरे में है. बालू चोरों पर अंकुश लगाने में प्रशासन व विभाग की लापरवाही किसी अनहोनी का दस्तक दे रही है.
यही हाल मधुपुर-देवघर मुख्य पथ पर मोहनपुर घाट पर पतरो नदी में बने पुल की है. बालू उठाव और पानी बहाव के बाद पुल के पिलर के आसपास खोखला होता जा रहा है. इसके अलावा पतरो नदी के लोहढाजोर घाट, साप्तर घाट, कसाठी-बेलटेकरी, टंडेरी घाट में भी बड़े पैमाने पर पुल के निकट बालू का उठाव हो रहा है. हालांकि कसाठी-बेलटेकरी घाट व लोहढाजोर घाट का खनन विभाग ने बालू उठाव के लिए पट्टा भी दिया हुआ है.
राेक के बाद भी बालू उठाव कैसे, कौन है जिम्मेवार
एनजीटी(नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने 30 सितंबर तक बालू खनन पर रोक लगा दी है. इसके बाद भी धड़ल्ले से बालू खनन होना कई संदेह पैदा कर रहा है. आखिर किसकी मिलीभगत से ये काम हो रहा है और इसके लिए कौन जिम्मेवार है, यह बड़ा सवाल है. नियम ताक पर रख पुलों को भी नुकसान पहुंचाने से गुरेज नहंी कर रहे.
पांच सौ मीटर दायरे में नहीं करना है बालू उठाव
किसी भी पुल के पांच सौ मीटर दायरे में बालू नहीं उठाना है. इसके बाद भी खुलेआम बालू का अवैध उठाव होना कई सवाल खड़े करता है. प्रशासन व खनन विभाग एक दूसरे पर जवाबदेही थोप कर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है. लेकिन अगर यही हाल रहा तो किसी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता है.
होगी उचित कार्रवाई: एसडीओ
इन मामलों को मुख्य रूप से जिला खनन पदाधिकारी को देखना है. लेकिन खुद भी मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करेंगे.
कुंदन कुमार,एसडीओ