चूल्हा फूंक कर मध्याह्न भोजन बनाने की मजबूरी

देवघर : जिले के दो हजार से ज्यादा सरकारी प्राइमरी व मिड्ल स्कूलाें में आज भी कोयला, लकड़ी, सूखे पत्ते जलाकर मध्याह्न भोजन पकाया जाता है. इससे न केवल हानिकारक धुआं निकलता है, बल्कि भोजन भी विलंब से बनता है. जलावन की लकड़ी के उपयोग के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. पर्यावरण भी प्रभावित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2017 9:29 AM
देवघर : जिले के दो हजार से ज्यादा सरकारी प्राइमरी व मिड्ल स्कूलाें में आज भी कोयला, लकड़ी, सूखे पत्ते जलाकर मध्याह्न भोजन पकाया जाता है. इससे न केवल हानिकारक धुआं निकलता है, बल्कि भोजन भी विलंब से बनता है. जलावन की लकड़ी के उपयोग के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है.
बरसात में मध्याह्न भोजन बनाने में परेशानी होती है. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लकड़ी का उपयोग कम हो, इसके लिए सरकार ने मध्याह्न भोजन पकाने के लिए गैस चूल्हा के इस्तेमाल पर बल दिया. एक दशक पूर्व जिले के दो हजार स्कूलों में से करीब चालीस फीसदी स्कूलों में गैस चूल्हे का कनेक्शन भी लिया गया. ताकि धुआंयुक्त लकड़ी के चूल्हे से स्कूलों को निजात मिले.

लेकिन, कुछ महीने बीतने के बाद गैस चूल्हा व सिलिंडर स्कूलों में धूल फांकने लगे. लोगों का ध्यान भी इससे हट गया. अंततः अधिकांश स्कूलों से गैस चूल्हे व सिलिंडर गायब हैं. कुछ स्कूलों के चूल्हे और सिलिंडर स्कूलों की शोभा बढ़ा रहे हैं. योजना के तहत मध्याह्न भोजन के लिए जो राशि सरकार की ओर से दी जाती है, उसी राशि से सब्जी व ईंधन की व्यवस्था करने का प्रावधान है. इसके बाद भी ज्यादातर स्कूलों में मध्याह्न भोजन गैस चूल्हे पर न बनाकर सामान्य चूल्हे पर बनाया जा रहा है.

चूल्हों व सिलिंडर के लिए विभाग को भेजी डिमांड : जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय देवघर की ओर से कुछ दिन पहले 2092 स्कूलों के लिए 5816 सिलिंडर एवं 4473 चूल्हों की डिमांड विभाग को भेजी गयी है. डिमांड छात्रों की उपस्थिति के आधार पर भेजी गयी है. 749 स्कूलों के लिए 1498 सिलिंडर व 1498 चूल्हे, 1066 स्कूलों के लिए 3198 सिलिंडर व 2132 चूल्हे, 265 स्कूलों के लिए 1060 सिलिंडर व 795 चूल्हे, 12 स्कूलों के लिए 60 सिलिंडर व 48 चूल्हों की डिमांड की गयी है.

Next Article

Exit mobile version