बीमार हैं देवघर के ग्रामीण अस्पताल, कहीं मरीजों ने खुद काटा परचा, कहीं करते रहे इंतजार

देवघर : केंद्र व राज्य सरकार ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के प्रति गंभीर है. गांव के गरीब लोगों तक बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले, इसके लिए करोड़ों खर्च भी किये जा रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मातहत ग्रामीण अस्पतालों की व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहे हैं. प्रभात खबर ने ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2017 9:52 AM
देवघर : केंद्र व राज्य सरकार ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के प्रति गंभीर है. गांव के गरीब लोगों तक बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले, इसके लिए करोड़ों खर्च भी किये जा रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मातहत ग्रामीण अस्पतालों की व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहे हैं. प्रभात खबर ने ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की पड़ताल के लिए सोमवार को स्टिंग करवाया. स्टिंग में देवघर जिले के नौ प्रखंड में नौ रिपोर्टर अॉन द स्पॉट सीएचसी-पीएचसी पर सुबह नौ बजे से 11.30 बजे तक रहे. रिपोर्टरों ने सीएचसी-पीएचसी की हालत देखी, वह आश्चर्यजनक था. नौ में से आठ अस्पतालों में समय पर डॉक्टर नहीं पहुंचे.
कहीं-कहीं प्रभारी भी काफी विलंब से पहुंचे. और जब प्रभारी ही लेट से आये तो भला एएनएम, नर्स व अन्य स्टाफ भला समय पर क्यों आयेंगे. हद तो तब हो गयी जब कई पीएसची-सीएचसी में विलंब से ही सही डॉक्टर आये लेकिन परचा काटने वाला कोई नहीं था. खुद मरीज ही परचा काट कर डॉक्टर के पास दिखाने जा रहे थे. कई स्वास्थ्य केंद्रों में तो दवाखाना में ताला लटका रहा. पहले डॉक्टर का इंतजार, उसके बाद परचा काटने वाला का इंतजार और जब डॉक्टर ने दवा लिखी तो दवाखाना खुलने का इंतजार मरीज करते रहे. एकाध केंद्रों में तो चतुर्थवर्गीय कर्मी दवा बांटते मिले.
अस्पतालों में स्वास्थ्य उपकरण कमरे बंद मिले
देवघर जिले में जितने सीएचसी हैं जहां स्वास्थ्य जांच के लिए कई उपकरण लगाये गये हैं. लेकिन विडंबना है कि ये उपकरण कमरे में बंद पड़े धूल फांक रहे हैं. सोमवार को भी जब स्टिंग चल रहा था तो एक्स-रे रूम बंद मिले. इसके अलावा अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों में तो जांच की कोई सुविधा नहीं है.
महिलाएं करती रहीं महिला डॉक्टर का इंतजार
स्टिंग के दौरान प्राय: पीएचसी में डॉक्टरों की कमी दिखी. वहीं सीएचसी में भी तीन-चार डॉक्टरों की पदस्थापना के बावजूद एक डॉक्टर के भरोसे ही सीएचसी चल रहा था. महिला डॉक्टर भी समय पर नहीं आयी. इस कारण महिला मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा.

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