एमडीएम: बच्चों को नियमित नहीं मिल रहा पूरक पोषाहार, मध्याह्न भोजन से अंडा गायब
देवघर : एमडीएम में बच्चों को मध्याह्न भोजन के साथ-साथ पूरक पोषाहार के रूप में अंडा या फल नियमित रूप से नहीं दिया जा रहा है. इससे बच्चों को पौष्टिक आहार देने की योजना पर सवाल उठने लगे हैं. प्राइमरी एवं मिडिल स्कूलों के बच्चों को मध्याह्न भोजन के साथ-साथ अंडा या फल देने का […]
देवघर : एमडीएम में बच्चों को मध्याह्न भोजन के साथ-साथ पूरक पोषाहार के रूप में अंडा या फल नियमित रूप से नहीं दिया जा रहा है. इससे बच्चों को पौष्टिक आहार देने की योजना पर सवाल उठने लगे हैं. प्राइमरी एवं मिडिल स्कूलों के बच्चों को मध्याह्न भोजन के साथ-साथ अंडा या फल देने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए अंडा या फल पर प्रति बच्चा चार रुपये खर्च करना है.
वहीं विभाग महंगाई व बढ़ती महंगाई व स्थानीय स्तर पर अंडा के उत्पादन को बढ़ावा नहीं देने की बात कह रही है. इस कारण स्थानीय बाजार में अंडा महंगा मिल रहा है. विभागीय पत्र के अनुसार, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड के राज्य मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक द्वारा पत्र जारी कर जिले के उपायुक्त को निर्देश भी दिया गया था. इसमें अंडा व फल पर प्रति बच्चा खर्च के अलावा मध्याह्न भोजन के लिए कुकिंग कॉस्ट कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चा के लिए 4.13 रुपये तथा कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चा के लिए 6.18 रूपये निर्धारित किया गया था. योजना के तहत प्रत्येक स्कूलों में सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को अंडा अथवा फल का वितरण बच्चों के बीच करना है.
सोम, बुध व शुक्र के लिए मेनू किया गया है तय
कार्यक्रम के तहत स्कूलों में छात्र-छात्राओं को सोमवार को दाल, भात, सब्जी, उबला हुआ अंडा अथवा फल (केला, सेब एवं संतरा) दिया जाना है. बुधवार को सादा वेजिटेबल बिरयानी, अंडा करी अथवा मौसमी फल तथा शुक्रवार को दाल, भात, चोखा, उबला हुआ अंडा अथवा मौसमी फल दिया जाना है.
बच्चों में प्रोटीन के लिए अंडा व फल देने का है प्रावधान
पूरक पोषण के तहत प्रोटीन की आवश्यकता को देखते हुए बच्चों को अंडा देने का प्रावधान किया गया है. अंडा नहीं खाने वाले बच्चों को अंडा के समतुल्य राशि से फल देने का प्रावधान किया गया है. योजना का पूर्ण लाभ बच्चों को देने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया. पारदर्शिता के लिए पूरक पोषाहार के रूप में दिये जाने वाले मैनू की सूची स्कूलों के सूचना पट्ट पर अंकित किया गया. योजना की गुणवत्ता सुनिश्चित कराने का दायित्व सरस्वती वाहिनी एवं संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को दी गयी है.
‘स्थानीय स्तर पर अंडा का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए बाजार से अंडा खरीद कर बच्चों को दिया जा रहा है. यह विभाग के निर्धारित दर से थोड़ा महंगा पड़ता है. नियमित अंडा परोसे जाने की सूचना मुझे नहीं है. इसकी अद्यतन जानकारी िमलने पर कार्रवाई की अनुशंसा करूंगा.
– सीवी सिंह
जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर