सारवां: प्रखंड क्षेत्र में लगातार तीन दिनों तक हुई बारिश से किसानों का बुरा हाल हो गया है. उनके हाथ आया धान का दाना बारिश ने छिन लिया है. खेतों में तैयार धान की फसल तेज हवा के झोंके से खेत में गिर गयी. लगातार तीन दिनों तक पानी में डूबी रहने से अब उस बालियों के धान में अंकुरण होने लगा है. इसे देख किसानों के होश फाख्ता हो रहे हैं .
किसान अरुण पत्रलेख, ओम प्रकाश झा,पंकज कुमार यादव, सुबोध यादव, मदन सिंह, तीरथनाथ सिंह, जितेंद्र कुमार, दिलीप सिंह, इदरीस अंसारी, गिरीश सिंह, गुड्डू सिंह, दुखी राय, केदार सिंह, मालदेव वर्मा, सीताराम वर्मा, किशन कुमार वर्मा, श्रीकांत सिंह, त्रिलोचन राय आदि ने बताया कि बारिश ने किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा. मुंह के पास आया निवाला छिनता जा रहा है.
लोग बेबस होकर कुछ भी करने में असमर्थ हैं. जब तक खेत सूखेगा तब तक पूरा धान बर्बाद हो जायेगा. न पुआल बचेगी और न बालियों का धान. जब अंकुरण हो जाता है तो धान में क्या बचता है. किसानों को दो तरफा मार का सामना करना पड़ रहा है. एक तो पूंजी और मेहनत डूबी. उसके बाद अब खेत के सड़ी फसल को पूंजी लगा कर साफ कराना पड़ेगा. विभाग से इसकी जांच कर किसानों को सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है.
बोले विधायक
बारिश से किसानों की तैयार धान की फसल को काफी क्षति हुई है. पिछले साल वो लोग सूखे का शिकार हो गये. इस वर्ष भी उनकी तैयार धान की फसल बर्बादी की कगार पर है. इसकी लिए आवाज उठायी जायेगी और किसानों का पक्ष रखा जायेगा.
कहते है बीडीओ
बीएओ विजय कुमार देव ने कहा यह प्राकृतिक आपदा है. किसान अविलंब अपने खेतों में पके धान की फसल की कटाई कर उसे मेड़ पर सूखने दें तभी बचाव संभव है. किसान पुआल बचाने की परवाह न करें, अन्यथा शेष धान भी बर्बाद हो जायेगा .