देवीपुर : सूप व डाला बनाने वाले मोहली जाति के लोग आज भी कठिन परिश्रम के बाद भी काफी परेशानियों में जीने को विवश हैं. महंगाई चरम सीमा पर पहुंचने के चलते दिन भर काम कर परिवार के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ बैठाना नामुमकिन हो रहा है. कामेश्वर मोहली, केवलाश मोहली, हरि मोहली, झारी मोहली, दामोर मोहली आदि ने बताया कि गरीबी के कारण दिन रात काम कर परिवार का भरण पोषण कराने में उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
इस कार्य में आठ वर्ष के बच्चे से लेकर 70 वर्ष के बूढ़े तक लगे हुए हैं. जिनकी उम्र 60 वर्ष या इससे ज्यादा हो गई है, उन्हें वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वे कई दिनों तक सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटते हैं. मोहली समाज के लोग सड़क किनारे व अपने झोपड़ी के आगे बैठ कर सूप, डाला आदि बनाते हैं. हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी वह अपना पक्का मकान बनाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, जबकि करीब सौ वर्षों से यह समाज अपने पुश्तैनी धंधे में लगा हुआ है.
सरकार की ओर से मिलने वाला आवास भी इन्हें नहीं मिल पा रहा है. यहां सूप डाली बनाकर गुजर करने वाले तीन सौ से अधिक परिवार हैं. छठ पूजा में इनके द्वारा बनाया गया सूप डाला प्रयोग किया जाता है. इस बार कच्चा बांस महंगा हो गया है. पूंजी के अभाव में उधार बांस लेकर ये सूप व डाला बना रहे हैं. उधार लेने पर इन्हें ज्यादा दाम देना पड़ता है.