उपभोक्ता फोरम के प्रति जागरूक हो रहे हैं लोग

देवघर: उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए बनाये गये उपभोक्ता संरक्षण फोरम के प्रति लोगों का रूझान बढ़ते जा रहा है. पहले लोग सामान खरीदारी करते थे तो खराबी होने के बाद मायूस होकर रह जाते थे, लेकिन अब उपभोक्ता जागरूक हो रहे हैं व दावा के लिए उपभोक्ता अदालत की शरण ले रहे हैं. हर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2017 9:32 AM
देवघर: उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए बनाये गये उपभोक्ता संरक्षण फोरम के प्रति लोगों का रूझान बढ़ते जा रहा है. पहले लोग सामान खरीदारी करते थे तो खराबी होने के बाद मायूस होकर रह जाते थे, लेकिन अब उपभोक्ता जागरूक हो रहे हैं व दावा के लिए उपभोक्ता अदालत की शरण ले रहे हैं. हर माह करीब 10 मामले दाखिल कर हो रहे हैं. जनवरी 2017 से 22 नवंबर 2017 तक मामलों का ग्राफ सौ से भी अधिक पार कर गया है. हालांकि मामलों के निष्पादन की भी गति तेज हुई है.
कौन-कौन से दिये गये हैं अधिकार : उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में उपभोक्ताओं को मुख्य रूप से छह अधिकार दिये गये हैं. सुरक्षा का अधिकार, सूचना पाने का अधिकार, चयन का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, शिकायत का अधिकार व उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार इस अधिनियम के तहत दिया गया है जो इस फोरम के माध्यम से उपभोक्ता प्राप्त कर सकते हैं.

मामलों के निवारण के प्रावधान : कोई भी उपभोक्ता अपने विवादों को जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम के माध्यम से निबटारा करा सकते हैं. जानकारी के अनुसार कोई भी उपभोक्ता 20 लाख रूपये तक के दावों को जिला फोरम में ला सकते हैं व निजात पा सकते हैं. बीस लाख रूपये से अधिक व एक करोड़ रूपये तक के दावे को राज्य आयोग में दाखिल करने के प्रावधान हैं. साथ ही एक करोड़ रुपये से अधिक के दावों के लिए राष्ट्रीय आयोग बना हुआ है जहां उपभोक्ता मामले को दाखिल कर राहत पा सकते हैं.
शिकायत दाखिल करने के लिए निर्धारित है शुल्क : उपभोक्ता संरक्षण फोरम में एक लाख रुपये तक एक सौ रुपये, एक लाख से पांच लाख रुपये तक दो सौ, पांच लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक 400, 10 लाख से अधिक व 20 लाख रुपये तक पांच सौ रुपये, बीस लाख रुपये से अधिक व 50 लाख रुपये तक दो हजार, 50 लाख से अधिक एक करोड़ तक चार हजार व एक करोड़ से अधिक दावे के लिए पांच हजार रुपये जमा करने के प्रावधान हैं. यह राशि डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल आर्डर के माध्यम से दावाकर्ता दाखिल कर सकते हैं. गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग एक लाख रुपये से कम के दावे करते हैं तो उनके लिए किसी भी प्रकार की शुल्क नहीं लगती है.
सेवा में त्रुटि पाये जाने पर देना पड़ता है हर्जाना : इस फोरम में दाखिल किये गये वाद में उपभोक्ता के दावों की पुष्टि सही पाने तथा जिस पर मुकदमा किया गया है, उसकी सेवा में त्रुटि पाये जाने पर विपक्षी को हर्जाना भरना पड़ता है. यह आदेश फोरम के अध्यक्ष व बेंच के दो सदस्यों द्वारा मामले की सुनवाई के बाद पारित किया जाता है. उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए यह फोरम है जहां से लोग लाभ ले रहे हैं.

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