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मौसम का मिजाज: 25 व 26 दिसंबर तक छाये रहेंगे हल्के बादल, पांच दिनों में न गिरेगा पारा,न होगी बारिश

दुमका : उपराजधानी दुमका सहित पूरे संताल परगना में अगले पांच दिनों में न तो बहुत ज्यादा ठंड बढ़ने के आसार हैं और न ही बारिश होने की ही संभावना है. 23 व 24 दिसंबर को अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना जतायी गयी है. वहीं 25, […]

दुमका : उपराजधानी दुमका सहित पूरे संताल परगना में अगले पांच दिनों में न तो बहुत ज्यादा ठंड बढ़ने के आसार हैं और न ही बारिश होने की ही संभावना है. 23 व 24 दिसंबर को अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना जतायी गयी है. वहीं 25, 26 व 27 सितंबर को अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम क्रमश: 10, 11 व 11 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है.

23 व 27 दिसंबर को आसमान साफ रहेगा, पर 24 दिसंबर को आंशिक व 25 व 26 दिसंबर को हल्के बादल छाये रहेंगे. संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार को उन्होंने रामगढ़, हंसडीहा और नोनीहाट के इलाके में कृषि कार्य का मुआयना किया है. यह सही है कि दिसंबर महीने में इस इलाके में इतना कम ठंडा नहीं हुआ करता, पर अब तक मौसम के इस परिवर्तन का कृषि पर प्रतिकुल असर नहीं पड़ा है. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ श्रीकांत सिंह के मुताबिक कीट प्रकोप तथा खरपतवार नियंत्रण पर किसान ध्यान दें, तो परेशानी नहीं होगी.

गरमा धान के बिचड़ा करें तैयार : मौसमू पूर्वानुमान पर आधारित कृषि सलाह जारी करते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के दुमका स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ बीके भगत ने बताया कि अगले पांच दिनों में बारिश की संभावना नहीं है. किसान फसल की कटनी और दौनी कर सकते हैं. गरमा धान की खेती करने वाले किसान उन्नत प्रभेद के रूप में आइआर 64, आइआर 36, ललाट, नवीन एवं परिजात की रोपाई के लिए बिचड़ा तैयार करें.प्रति एकड़ रोपाई के लिए 20 किलोग्राम बीज को 8 घंटा पानी में भिंगोने के बाद कार्बेंडाजिम दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित जूट की बोरी में डाल कर दो से तीन दिन अंकुरण के लिए छोड़ दें. 400 वर्गमीटर खेत को तीन से चार बार जुताई करें. खरपतवार निकाल कर बीज स्थली तैयार करने के बाद गोबर खाद 100 किग्रा, यूरिया 5 किग्रा, डीएपी 8.5 किग्रा, म्युरेट ऑफ पोटाश 6.5 किग्रा भुरकाव कर पौधशाला में बुआइ करें.
मौसम में उतार-चढ़ाव मटर के लिए खतरनाक
मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण मटर में पाउडर रूपी फफूंदी व कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे बचाव के लिए कैराथेन दवा एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर या सल्फेक्स दवा 3 मिलीलीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. फली छेदक कीट को नियंत्रित करने के लिए मोनोक्रोटोफोस 1 मिलीलीटर पानी में में घोलकर 15 दिनों के अंतर पर छिड़काव करें. टमाटर को मोजैक रोग सेसे बचाने तथा टमाटर के साथ-साथ बैगन में मुरझा से बचाव के लिए भी आवश्यक उपाय के परामर्श दिये गये हैं.

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