झारखंड : लालू प्रसाद के खिलाफ चौथे मामले में 15 मार्च को फैसला, इन आरोपियों की हो चुकी है मौत
रांची : चारा घोटाले के आरसी 38ए/96 मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में अंतिम सुनवाई पूरी हो गयी. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 15 मार्च को फैसला सुनाने का दिन निर्धारित किया है. मामला दुमका कोषागार से तीन करोड़ 13 लाख रुपये की अवैध निकासी से संबंधित […]
रांची : चारा घोटाले के आरसी 38ए/96 मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में अंतिम सुनवाई पूरी हो गयी. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 15 मार्च को फैसला सुनाने का दिन निर्धारित किया है.
मामला दुमका कोषागार से तीन करोड़ 13 लाख रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है. इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, डॉ जगन्नाथ मिश्र सहित कुल 31 आरोपी हैं, जिन्होंने ट्रायल फेस किया है. इससे पहले लालू प्रसाद को सीबीआइ की अदालत ने चारा घोटाले के तीन अलग-अलग मामलों में सजा सुनायी है. लालू प्रसाद फिलहाल बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में हैं.
49 मामलों में आ चुका है फैसला : सोमवार को मामले की अंतिम सुनवाई हुई. लालू प्रसाद सहित अन्य की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी हुई. सीबीआइ की ओर से वरीय विशेष लोक अभियोजक राकेश प्रसाद की पैरवी की. चारा घोटाले में अब तक 49 मामलों का फैसला आ चुका है.आरसी 38ए/96 में कुल 48 आरोपी थे.
इनमें 14 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है. तीन सरकारी गवाह बन गये थे. अदालत ने एक आरोपी एसएन दुबे को पूर्व में बरी कर दिया था.
इन आरोपियों की हुई है मौत :
बीबी प्रसाद बजट (अॉफिसर), भोला राम तूफानी (मंत्री), सीडीपी वर्मा (मंत्री), छट्टू प्रसाद (ट्रेजरी ऑफिसर), कालिका प्रसाद सिन्हा (एकाउंटेंट), के अरूमुगम(सचिव), महेंद्र प्रसाद (प्रोपराइटर बीआर फार्मा), प्रमोद कुमार जायसवाल (प्रोपराइटर भगत एंड कंपनी), आरके दास (ऑफिसर), राजेंद्र सिंह (पशुपालन पदाधिकारी), राम राज राम (निदेशक), एसएन सिंह (पशुपालन पदाधिकारी), एसबी सिन्हा (जवाइंट डायरेक्टर), वसीमुद्दीन (पशुपालन पदाधिकारी).
चारा घोटाला : आरसी 38ए/96 मामले में अंतिम सुनवाई पूरी
क्या है आरसी 38ए/96
1995-96 में दुमका कोषागार से कुल तीन करोड़ 13 लाख रुपये की अवैध निकासी की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च 1996 चारा घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया था. इस आदेश के आलोक में सीबीआइ ने दुमका कोषागार से हुई निकासी के मामले में भी प्राथमिकी दर्ज की थी. इससे पहले दुमका जिला प्रशासन ने भी एफआइआर दर्ज करायी थी. वर्ष 2000 में 48 आरोपियों के खिलाफ सीबीआइ ने चार्जशीट दायर किया था. 2005 में मामले में चार्जफ्रेम किया गया.