बहिष्कार के बाद भी कई अधिवक्ताओं ने की पैरवी

देवघर : जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्ताओं ने एक ओर जहां एसडीएम व एसडीओ कोर्ट का बहिष्कार किया,वहीं दूसरी अोर एक दर्जन से अधिक अधिवक्ताअों ने अपने मुवक्किल के केस के पक्ष में अनुमंडल कोर्ट में सुबह 10 बजे हाजिरी फार्म जमा किया. साथ ही कई ने संध्या समय पैरवी भी की. इससे पहले जब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2018 5:16 AM

देवघर : जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्ताओं ने एक ओर जहां एसडीएम व एसडीओ कोर्ट का बहिष्कार किया,वहीं दूसरी अोर एक दर्जन से अधिक अधिवक्ताअों ने अपने मुवक्किल के केस के पक्ष में अनुमंडल कोर्ट में सुबह 10 बजे हाजिरी फार्म जमा किया. साथ ही कई ने संध्या समय पैरवी भी की.

इससे पहले जब मामले की जानकारी एसोसिएशन के महासचिव प्रणय कुमार सिन्हा अपने चार-पांच सहयोगियों के साथ अनुमंडल कोर्ट पहुंचे. जहां पेशकार के पास आज के डेट के अनुसार वकील व मुवक्किल की सूची नोट किया. संघ के निर्णय के आलोक में हालांकि किसी भी मामले में एडवोकेट न्यायालय नहीं आये व बहस या मूव नहीं किये. न्यायालय परिसर में सन्नाटा पसरा रहा. ज्यादातर अधिवक्ताओं ने बहिष्कार को जायज ठहराया, तो कुछ ने इसे न मानने की बात पर तकरार कर रहे थे. संघ के अधिवक्ताओं ने बहिष्कार के पहले दिन एकजुटता दिखायी.

क्यों हुआ एसडीएम कोर्ट का बहिष्कार: एसडीएम द्वारा वरीय अधिवक्ताओं के अलावा कई अधिवक्ताओं के साथ अभद्रता की शिकायतें संघ के अध्यक्ष व महासचिव को मिली थी जिसके मद्देनजर आपात बैठक आठ मार्च को बुलायी गयी व सर्वसम्मति से न्यायालय का बहिष्कार करने का प्रस्ताव लिया. साथ ही एसडीओ के आचरण से आहत अधिवक्ताओं ने उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की मांग सीएम समेत अन्य अधिकारियों से की. इस आशय का प्रस्ताव की प्रति संलग्न करते हुए पत्र सीएम झारखंड, अध्यक्ष झारखंड स्टेट बार काउंसिल, मुख्य सचिव झारखंड सरकार, आयुक्त दुमका व डीसी देवघर को भेजा गया. कहा गया है कि जब तक विभागीय कार्रवाई नहीं होती है, अधिवक्ताओं का बहिष्कार जारी रहेगा. वरीय एडवोकेट मंगलानंद झा को एसडीओ ने तीन माह तक कोर्ट में पैरवी से वंचित कर दिये जाने से अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश व्याप्त है.
मेरा किसी से न कोई द्वेष, न कोई दुश्मनी
अनुमंडल कोर्ट बहिष्कार मामले में एसडीअो राम निवास यादव ने कहा कि मेरा किसी से न कोई देष अौर न कोई घृणा है. मैं तो बस एसडीएम कोर्ट की गरिमा बचाये रखने के लिए स्टेट बार को पत्र लिखा है. व्यक्तिगत जीवन में कोई भी वकील मिलते हैं तो उनसे सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातें होती है. मगर न्याय व्यवस्था के तहत एक मजिस्ट्रेट व वकील के बीच एक मर्यादित संबंध होते हैं. उसे बरकरार रखा जाना चाहिये.

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