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टूटे रिश्तों को एक धागे में पिरो रहा पंचायतीराज
देवघर : मोहनपुर प्रखंड के कटवन पंचायत में पिछले आठ वर्षों के दौरान पंचायतीराज में दर्जनों परिवार टूटने से बच गये. पंचायतीराज व्यवस्था कटवन पंचायत में अब आपसी सहमति से पति-पत्नी के अलग होने की परंपरा खत्म हो रही है. पंचायत अब अलग होने के बजाय दोनों का घर बसाने की परपंरा शुरू की है. […]
देवघर : मोहनपुर प्रखंड के कटवन पंचायत में पिछले आठ वर्षों के दौरान पंचायतीराज में दर्जनों परिवार टूटने से बच गये. पंचायतीराज व्यवस्था कटवन पंचायत में अब आपसी सहमति से पति-पत्नी के अलग होने की परंपरा खत्म हो रही है. पंचायत अब अलग होने के बजाय दोनों का घर बसाने की परपंरा शुरू की है.
दहेज, आपसी विवाद व पारिवारिक कलह से दोनों परिवार अब नहीं टूटता है. कटवन पंचायत के ओरांबारी, जमुआ, कटवन, अमेलवा, हिरणाटांड़ गांवों में दो दर्जन से अधिक परिवार में कई तरह के अलग-अलग विवाद से दो-तीन वर्ष से पति-पत्नी अलग हो चुके थे. पत्नी अपने मायके में रहती थी व पति अपने घर अलग रहते थे.
कई परिवार में तो बच्चे के साथ पत्नी गरीबी में अलग जीवन जी रही थी. कुछ जगह तो सहमति के साथ एक-दूसरे को छोड़ने की तैयारी चल रही थी. लेकिन पंचायतीराज ने दोनों परिवार के संबंध व बच्चों के भविष्य को देखते हुए ऐसी परंपरा को बंद करने की ठानी और फिर पंचायती कर दोनों परिवार को मिलाने का सिलसिला शुरू हुआ.
बच्चों का भविष्य बचाने के लिए जुड़े दोनों परिवार
कटवन पंचायत के ओंराबारी गांव के सवेनुर बीबी व बैजुल हक का निकाह आठ वर्ष पहले हुआ था. कुछ बातों को लेकर दोनों परिवार में तनाव हो गया. विवाद की वजह से सवेनुर अपने दो बेटों के साथ मायके में रहने लगी थी. बैजुल ने सवेनुर को तलाक देने का मन बना लिया, तीन वर्ष पहले से तलाक के पेपर भी सवेनुर को भेज दी, लेकिन सवेनुर को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता होने लगी. सवेनुर ने पंचायत के मुखिया को अपनी समस्या से अवगत करायी. मुखिया ने ओंराबारी गांव में ही पंचायती बुलायी, इसमें पंचायत समिति सदस्य हरकिशोर यादव समेत गांव सभी बुजुर्ग शामिल हुए. पंचायत की पहल व सामाजिक दबाव से दोनों परिवार साथ रहने को सहमत हो गये. अब तो दोनों को एक बेटी भी हुई है.
दो वर्ष अलग रहने के बाद मिले संजय व रिंकी
अमलेवा गांव के संजय यादव की शादी दूसरे पंचायत के बैजनडीह गांव की रिंकी से चार वर्ष पहले हुई थी. विवाद के बाद दोनों परिवार अलग हो चुका था. रिंकी दो वर्ष से अपने मायके बैजनडीह में रहती थी. यहां पंचायत ने एक बेटी के पक्ष में नहीं, बल्कि बहू को वापस लाने में भूमिका निभायी. पंचायत ने संजय के परिवार पर सामाजिक दबाव बनाया व बहू को वापस लाने के लिए तैयार किया. मुखिया हिमांशु यादव समेत गांव के दर्जन भर लोग रिंकी के गांव गये व यहां भी पंचायती बुलायी गयी. दोनों परिवार को घर बसाने में ही खुशहाली का पाठ पढ़ाया गया. अंत में संजय के साथ रिंकी की विदाई हुई व अपने ससुराल आयी. अब संजय व रिंकी खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. अब तो उन्हें एक बेटा भी हुआ है.
बिहार तक गये पंचायत करने, बसा दिया घर
अमेलवा गांव की आरती कुमारी की शादी बिहार के कटोरिया स्थित बदेही गांव में कौशल मंडल से हुई थी. घरेलू विवाद के बाद दोनों परिवार दो वर्ष से अलग रह रहा था. आरती अपने मायके अमलेवा में दो वर्ष से थी. इसकी सूचना पंचायत के मुखिया को मिली. मुखिया लड़की पक्ष के लोगों के साथ कटोरिया गये व रात में कौशल के परिजनों के साथ पंचायती हुई. पारिवारिक झगड़ा व कानूनी पेच से दोनों परिवार को होने वाले आर्थिक नुकसान की बातें बतायी गयी. लोगों के समझाने के बाद कौशल अपनी पत्नी आरती के साथ ले जाने को तैयार हो गया. दो महीने पहले आरती की विदाई पूरी रीति-रिवाज के साथ हुई है. आज दोनों परिवार जहां खुश हैं वहीं दोनों पति-पत्नी एक दूसरे के साथ बेहतर जिंदगी जी रहे हैं.
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