देवघर : काटे जा रहे पेड़, खत्म हो रही हरियाली

देवघर : उज्ज्वला योजना आने के बाद मोहनपुर में ईंधन के लिये पेड़ काटने पर 10 फीसदी तक रोक लगी है. हालांकि जिन्हें गैस कनेक्शन मिला है इनमें से अधिकांश महिलाएं दोबारा सिलिंडर नहीं भरवा पा रही हैं. वैसी महिलाओं के लिए अब भी ईंधन के लिए जंगल के पेड़ों का आसरा है. उर्मिला देवी, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2018 4:14 AM
देवघर : उज्ज्वला योजना आने के बाद मोहनपुर में ईंधन के लिये पेड़ काटने पर 10 फीसदी तक रोक लगी है. हालांकि जिन्हें गैस कनेक्शन मिला है इनमें से अधिकांश महिलाएं दोबारा सिलिंडर नहीं भरवा पा रही हैं. वैसी महिलाओं के लिए अब भी ईंधन के लिए जंगल के पेड़ों का आसरा है. उर्मिला देवी, बतासी देवी, पुतली देवी आदि ने बताया कि पहली बार सिंलिंडर भरा हुआ मिला था. उसके बाद भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं. मोहनपुर के जमुनिया जंगल, हाइ स्कूल के पास जंगल, त्रिकुट पहाड़ के जंगल, तपोवन के जंगल आदि में धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई हो रही है. इस मामले में वन विभाग मौन है. मोहनपुर व त्रिकुट में वन विभाग का कार्यालय में वन कर्मी वहां नहीं रहता है. इसके कारण जंगल की कटाई धड़ल्ले से हो रही है.
मधुपुर : प्रखंड के कई जंगलों से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. वन संपदा की अवैध कटाई के कारण पर्यावरण प्रदूषण समेत तरह-तरह की प्राकृतिक आपदा सामने आ रही है. इधर पेड़ों की अवैध कटाई रोकने में विभाग असफल रहा है. बताया जाता है कि प्रखंड क्षेत्र के हरला, नैयाडीह, बकुलिया के निकट के अलावा बुढ़ैय आदि जगहों पर ग्रामीणों द्वारा पेड़ों की कटाई जारी है. कई जगह तो ग्रामीण पेड़ की टहनी जलावन के उद्देश्य से काटते हैं, लेकिन कई जगहों पर लकड़ी माफिया इसे बेचने के लिए पूरे पेड़ की कटाई कर देता है. विभागीय अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, जिससे इनका मनोबल बढ़ा हुआ है.
उज्जवला योजना आने के बाद पेड़ों की कटाई में बहुत कमी नहीं आयी है, क्योंकि पहले भी ग्रामीण जलावन के लिए पेड़ की टहनी काटा करते थे और अब भी काटते हैं. जो लोग सिलिंडर दोबारा भरवाने में सक्षम नहीं हैं, वे जलावन में टहनी का ही इस्तेमाल करते हैं. पेड़ कटाई का मुख्य मकसद इसे बेच कर पैसा कमाना होता है. जिस पर कड़ी कार्रवाई होगी तभी यह रुक पायेगा.
पेड़ कटने से जंगल का अस्तित्व खतरे में
सोनारायठाढ़ी. अवैध लकड़ी का कारोबार जोरों पर है, जिसके कारण प्रखंड क्षेत्र के जंगल व कीमती पेड़ों का अस्तित्व खतरे में है.सैकड़ों पेड़ रोजाना लकड़ी माफिया के द्वारा आरा मिल में पहुंच जाते हैं. लकड़ी माफिया का मनोबल इतना बढ़ गया है कि दिन के उजाले में भी खुलेआम ट्रैक्टर के माध्यम से अवैध लकड़ी को ढोया जाता है. ब्रह्मोत्तरा पंचायत के नकटी गांव में करीब 60 एकड़ में फैले जंगल में अब कुछ पेड़ मात्र ही बच गये. है.
ग्राम प्रधान मुकेश कुमार सिंह व ग्रामीण दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि पहले इस जंगल में सखुआ के पेड़ हुआ करते थे. उसके उजड़ने के बाद वन विभाग ने सागवान समेत कई प्रजाति के पौधे लगाये, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण जंगल बसने से पहले ही उजड़ गया. मकरा पहाड़ के पास स्थित जंगल की स्थिति भी नकटी जंगल के जैसी ही है. यहां भी लकड़ी माफिया अवैध कटाई बिना रोक-टोक कर रहा है. सोनारायठाढ़ी थाना क्षेत्र में अनुमति प्राप्त दो आरा मिल हैं, लेकिन कई आरा मिल अवैध रूप से खुलेआम संचालित हो रहे हैं. इसका असर प्रखंड क्षेत्र के जंगलों पर ही खास कर पड़ रहा है.

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