बिहार-झारखंड के 63 कृषि विज्ञान केंद्रों का होगा विस्तार

देवघर : 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से तकनीकी खेती के जरिये उत्पादन बढ़ाने के लिए बिहार-झारखंड के 63 कृषि विज्ञान केंद्रों को समृद्ध बनाया जायेगा. इसकी विस्तृत योजना तैयार की जा रही है. उक्त बातें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के सचिव डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कही. रविवार को देवघर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2018 4:18 AM
देवघर : 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से तकनीकी खेती के जरिये उत्पादन बढ़ाने के लिए बिहार-झारखंड के 63 कृषि विज्ञान केंद्रों को समृद्ध बनाया जायेगा. इसकी विस्तृत योजना तैयार की जा रही है. उक्त बातें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के सचिव डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कही.
रविवार को देवघर पहुंचे आइसीएआर के सचिव ने कृषि विज्ञान केंद्र, सुजानी का निरीक्षण कर इसका विस्तार करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. डॉ महापात्रा ने कहा कि सभी राज्यों में केवीके को समृद्ध करने के लिए वृहद याेजना बनायी जा रही है.
बिहार-झारखंड के 63 केवीके में तकनीकी खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक डेमोस्ट्रेशन जरूरी है. जहां भी केवीके में जमीन व सिंचाई की सुविधा का अभाव है, उसे पूरा किया जायेगा. डेमोस्ट्रेशन के लिए केवीके की जमीन का क्षेत्र बढ़ाया जायेगा. प्रत्येक ेकेवीके में ट्रेनिंग हॉस्टल स्थापित होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मदद से केवीके को संसाधनों से लैस किया जायेगा. झारखंड में बरसात के पानी पर ही खेती निर्भर है.
मिट्टी के अनुकूल केवीके के जरिये यहां बागवानी फसलें आम, बेल व आंवला की खेती पर फोकस किया जायेगा. किसानों को इसकी विशेष ट्रेनिंग दी जायेगी. राज्य सरकार की मदद से इन फसलों का प्रोसेसिंग प्लांट लगाये जायेंगे.
वैल्यू चेन से किसानों को मिलेगा उचित दाम
सचिव डॉ महापात्रा ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसानों के उत्पादन धान, सब्जी समेत अन्य फसलों का मार्केट आवश्यक है. किसानों को मार्केट में उचित दाम तभी मिलेगा, जब प्रोडक्ट का वेल्यू चेन डेवलप कर पायेंगे. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केवीके माध्यम से वेल्यू चेन डेवलप करने की दिशा में काम करेगी.
केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा बाजार में स्टडी की जायेगी कि किस सब्जी व फसलों की डिमांड अधिक है. स्टडी के बाद ऐसे फसलों की खेती करने के लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जायेगी. इन अनाज व सब्जी की जहां अधिक खपत है, वहां सुगम तरीके से किसानों काे जोड़ा जायेगा. डॉ महापात्रा ने बताया कि देवघर का सत्संग इसका उदाहरण है, यहां सब्जी व चावल की अधिक खपत है.
सत्संग स्वयं कोल्ड स्टोरेज बना रही है, ऐसे संस्थानों पर किसान अपने उत्पाद दे कर सकते हैं. देवघर सर्किट हाउस में जिला प्रशासन व केवीके वैज्ञानिकों के साथ बैठक कर डॉ महापात्रा ने केवीके में पानी समेत अन्य सुविधा को पूर्ण करने के निर्देश दिये. बैठक में राज्य निदेशक डॉ एके सिंह, एसी एके दुबे, डाॅ पीके सन्निग्रहि, डॉ पीके सिंह आदि थे.

Next Article

Exit mobile version