देवघर : सदर अस्पताल में प्रसव वेदना से पांच घंटे तक महिला ओपीडी में तड़पती रही, लेकिन उसका इलाज नहीं हो सका. परिजन उसे प्राइवेट क्लिनिक ले जाने लगे, तो ऑटो पर अस्पताल परिसर में ही उसने पुत्र को जन्म दिया. नवजात को दिखाने के लिए जब शिशु रोग ओपीडी में परिजन ले गये, तो डॉक्टर ने उसे देखने से भी मना कर दिया और बाहर दिखाने को कहा.
नवजात को तीन-चार प्राइवेट डॉक्टरों के क्लिनिक में लेकर परिजन गये, तो किसी ने भर्ती नहीं लिया. निराश परिजन उसे लौटा कर फिर सदर अस्पताल लाये, जहां ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने नवजात को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद परिजन डॉक्टर द्वारा जच्चा-बच्चा का इलाज नहीं करने का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे. आखिर किसकी लापरवाही से नवजात नहीं बच सका, परिजन उसे चिह्नित कर कार्रवाई की मांग करने लगे.
मामले की जानकारी प्रभारी सीएस सह डीएस डॉ विजय कुमार, अस्पताल मैनेजर चंद्रशेखर महतो को मिली. इसके बाद आनन-फानन में महिला डॉक्टर निवेदिता कुमारी, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक कुमार अनुज सहित पांच एएनएम व महिला कक्ष सेवक से स्पष्टीकरण किया गया.
क्या रहा घटनाक्रम : रविवार की अहले सुबह करीब पांच बजे देवघर बैजनाथपुर के नवाडीह गांव निवासी उमेश यादव अपनी पत्नी रीना देवी को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे. रीना प्रसव वेदना से तड़प रही थी. अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं होने कारण समय पर उसका इलाज नहीं हो सका. अस्पताल के महिला ओपीडी में लगभग पांच घंटे तक दर्द से वह फर्श पर तड़पती रही. बावजूद किसी ने उसे बेड पर नहीं पहुंचाया. यहां तक कि कोई एएनएम व कक्ष सेवक तक देखने नहीं पहुंचे.
परिजनों के मुताबिक ओपीडी में उपस्थित एएनएम ने डांट कर उनलोगों को रीना को बाहर ले जाने कहा. उसके पति उमेश यादव ने बताया कि महिला डॉक्टर करीब 10:30 बजे तक जब नहीं पहुंची, तो ऑटो द्वारा रीना को वे लोग प्राइवेट क्लिनिक ले जाने लगे. अस्पताल परिसर में ही ऑटो पर रीना को प्रसव हो गया तो वे लोग वापस लौट गये.
इसके बाद रीना को तो भर्ती कर लिया गया, लेकिन उसके द्वारा जन्म दिये नवजात को बाहर रेफर कर दिया गया. अस्पताल में एसएनसीयू में रहने के बाद भी नवजात का इलाज नहीं किया गया. परिजन नवजात को लेकर तीन-चार प्राइवेट क्लिनिक में भटकते रहे, किंतु किसी ने उसे भर्ती नहीं किया. सभी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों ने सदर अस्पताल ले जाने को ही कहा. परिजन फिर नवजात को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे तो नवजात को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. इसके बाद नवजात को भर्ती करने की प्रक्रिया दिखाने की कोशिश की गयी तो परिजन हंगामा करने लगे.
परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
मृत बच्चे के पिता समेत परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि समय पर रीना का इलाज होता, तो उसके नवजात की जान नहीं जाती. परिजनों ने कहा कि रीना को सुबह करीब साढ़े पांच बजे सदर अस्पताल लाया गया और 10:30 बजे तक किसी डॉक्टर, एएनएम ने उसे देखना तक उचित नहीं समझा.
कहते हैं डॉक्टर
सुबह में नवजात की स्थिति को देखते हुए रेफर कर दिया गया. सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में एक किलो आठ सौ से कम वजन के बच्चे को भर्ती नहीं किया जा सकता है. व्यवस्था नहीं रहने के कारण उसे रेफर किया गया. फिर बाद में नवजात को लाया गया तो मृत घोषित कर दिया गया.
डॉ एके अनुज, शिशु रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल
आज करीब साढ़े नौ बजे अस्पताल आयी और एक महिला का टांका काटने वार्ड में चली गयी. वापस आया तो मैनेजर बोले कि महिला वापस चली गयी. उन्होंने कहा कि महिला को वार्ड में रखा गया था. लेकिन मरीज वार्ड में रही नहीं. प्रसव के लिए दर्द अधिक होने के कारण परिजनों ने बाहर ले गया. इसके बाद मंदिर मोड़ के समीप महिला का प्रसव ऑटो में ही हो गया. दोबारा वापस लाया गया तो इलाज किया जा रहा है.
डॉ निवेदिता, महिला रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल
महिला सुबह करीब आठ बजे आयी थी जिसे लेबर रूम में रखा गया था. इसके बाद महिला के दर्द को देखते हुए उसके पिता ने नीचे ले आया. वहीं फर्श पर वह लेट गयी. उसका दर्द देख कर परिजन प्राइवेट में दिखाने ले जा रहे थे कि ऑटो पर अस्पताल परिसर में उसने नवजात को जन्म दी. उसे इलाज के लिए भर्ती किया गया. साथ ही बच्चे अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती करने को कहा.
फिर भी परिजन नवजात को दिखाने बाहर ले गये. जहां डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया. बाद में अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती किया गया, लेकिन नवजात की मौत हो गयी. मामले में दो डॉक्टर पांच स्टाफ से स्पष्टीकरण किया गया. जिसकी भी लापरवाही को कार्रवाई के लिए विभाग को अनुशंसा करेंगे.