न्‍याय की गुहार लगाता एक परिवार, पांच दिनों से चिलचिलाती धूप में जारी है धरना

देवघर : अगर न्याय मिलना आसान होता तो शायद मांझी परिवार को पांच दिनों से अनशन पर नहीं बैठना पड़ता. चिलचिलाती धूप हो या फिर हो रही बारिश यह परिवार पिछले पांच दिनों से न्याय के लिए समाहरणालय द्वार पर धरना पर बैठा है. गांव वालों द्वारा बार-बार केस मुकदमे किये जाने से परेशान होकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2018 4:14 AM
देवघर : अगर न्याय मिलना आसान होता तो शायद मांझी परिवार को पांच दिनों से अनशन पर नहीं बैठना पड़ता. चिलचिलाती धूप हो या फिर हो रही बारिश यह परिवार पिछले पांच दिनों से न्याय के लिए समाहरणालय द्वार पर धरना पर बैठा है. गांव वालों द्वारा बार-बार केस मुकदमे किये जाने से परेशान होकर जसीडीह थाना क्षेत्र के गिधनी पंचायत अंतर्गत गम्हरिया निवासी हरि मांझी घर द्वार छोड़कर अपनी पत्नी उर्मिला देवी, पुत्र अखिलेश कुमार व पुत्री नंदिनी कुमारी के साथ प्रशासन से न्याय की गुहार लगा लगा रहा है.
ठेला चलाकर किसी तरह अपना घर-परिवार चला रहे हरि मांझी भी केस-मुकदमों से इतना त्रस्त हो गया है कि उसने समाहरणालय गेट के पास ही खाली जमीन पर डेरा जमा लिया. पेड़ की डाली कपड़े सुखाने की जगह बनी है और एक पतला प्लास्टिक की छावनी ही उसका आशियाना बना हुआ है. समाहरणालय गेट से ही हर दिन डीसी से लेकर अन्य अधिकारी गुजरते हैं. हरि व उसके घरवालों की आंखें इसी आस में लगी रहती है कब साहब की नजर उन पर पड़ेगी. लेकिन शायद उसके दर्द को सुनने वाले उसकी ओर से नजरें फेर लेते हैं या फिर उस पर ध्यान ही नहीं देते.
  • समाहरणालय द्वार पर पांच दिनों से बेटा-बेटी व पत्नी के साथ बैठे हैं हरि
  • मातृ मंदिर स्कूल में नौवीं में पढ़ती है नंदिनी
  • छुट्टी के बाद बेटी बैठ जाती है समाहरणालय गेट पर
  • गम्हरिया का रहने वाला है परिवार
तो क्या पहुंच-पैरवी नहीं, इसलिए हो रही देरी
मंगलवार की सुबह डीसी को पत्र लिख कर हरि मांझी ने न्याय की गुहार लगायी है. जबकि वह रविवार की सुबह से ही अपनी समाहरणालय के सामने अनशन पर बैठा है. पत्र में हरि मांझी ने कहा कि वह गांव में अकेला कमजोर व गरीब आदमी है. गांव के लोग साजिश करके उसे व परिवार को गांव से भगाना चाहते हैं. साथ ही उसकी जमीन- मकान भी हड़पना चाहते हैं. कई झूठे केस किये गये. अधिकांश में वह मुकदमा भी जीत चुका है. इसके बाद गांव के दबंग व जनप्रतिनिधि गांव के सरकारी कुआं से पानी तक नहीं लेने देते.
मुखिया, वार्ड सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, जसीडीह थाना प्रभारी अौर एसपी कार्यालय का भी चक्कर लगाकर थक गये पर कोई सुनवाई नहीं हुई. अंत में हरि यह कहते हुए रो पड़ता है कि उसके पास न तो पैसा है और न पैरवी, शायद इसलिए उन्हें न्याय नहीं मिल रहा. हरि मांझी कहते हैं गांव में जीना मुश्किल हो गया है. अब जबतक उन्हें न्याय नहीं मिलता, इसी तरह समाहरणालय गेट पर परिवार के साथ पड़े रहेंगे.
स्कूल से आकर धरने पर बैठ जाती बेटी
हरि की बेटी नंदिनी मातृ मंदिर में नौवीं कक्षा की छात्रा है. पिता के साथ वह भी अनशन पर बैठी है. वह पढ़कर कुछ बनना चाहती है ताकि उसके पिता को कोई कष्ट नहीं हो. नंदिनी रोजाना समय स्कूल जाती है और लौटकर वापस समाहरणालय गेट में ही पढ़ाई में लग जाती है. बेटे ने मैट्रिक की परीक्षा दी है. रिजल्ट का इंतजार है. वह भी पढ़ाई कर घर की आर्थिक स्थिति सुधारना चाहता है. लेकिन, केस मुकदमों के चक्कर ने इन दोनों का भविष्य अंधकार में लाकर खड़ा कर दिया है.

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